Wednesday, May 28, 2014

सिर्फ डिग्री और पदवियाँ किसी की योग्यत्ता - अयोग्यत्ता की परिचायक नहीं होती !

सिर्फ डिग्री और पदवियाँ किसी की योग्यत्ता - अयोग्यत्ता की परिचायक नहीं होती !


सिर्फ डिग्री और पदवियाँ किसी की योग्यत्ता - अयोग्यत्ता की परिचायक नहीं होती !आम जिन्दगी में भी  स्नात्तक - स्न्नात्तकोत्तर की डिग्रीप्राप्त अनेक व्यक्ति लोग भी मात्र साक्षर व्यक्ति के द्वारा किए जाने वाले कागजाती कार्य भी स्वयं  करने की सामर्थ्य नहीं रखते दूसरी ओर एक कक्षा की भी विद्यालयीन शिक्षा प्राप्त नहीं करने वाले व्यक्ति भी हिन्दी , संस्कृत , अंग्रेजी सहित कई अन्य भाषा - साहित्य , गणित , विज्ञानं , भुगोलो , इतिहास आदि विशायोंज में पारंगत व्यक्ति भी दृष्टिगोचर होते हैं जो पढ़ने के लिए किसी सरकारी विद्यालय में कभी पाँव तक नहीं रखा लेकिन अपने निजी स्त्रोतों से अनेक भाषाओं तथा अन्यान्य समस्त विषयों में पारंगत हैं पिंगल हैं और सरकारी डिग्रीधारियों के कान काटते हैं !

यह डिग्री और पदवियाँ ही तो आंग्ल मानसिकता का परिचायक है और इस आधार पर एक स्वदेशी सरकार की मंत्री की योग्यता अर्थात काबिलियत उसकी डिग्री के माध्यम से आंका जाना ठीक प्रतीत नहीं होता !हाँ यह अलग बात है कि ब्रिटिश सरकार के द्वारा गुरुकुल शिक्षा पद्धत्ति को समाप्त , नष्ट - भ्रष्ट कर दिए जाने के पश्चात ही आज वर्तमान में विद्यालयों , महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में नामांकन कराकर पढकर निकले और वहाँ से प्राप्त प्रमाण पत्रों के आधार पर ही सरकार के द्वारा लोगों को पढ़ा - लिखा मानने , पदवियाँ और नौकरियाँ देने की परिपाटी भारतवर्ष में प्रचलित है वर्ना अंग्रेजों के पूर्व यहाँ शिक्षण संस्थानों में लिखित प्रमाण पत्र देने की परिपाटी नहीं थी विद्यार्थियों को स्वयं अपनी विद्वत्ता सिद्ध करनी होती पड़ती थी !

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