Tuesday, September 30, 2014

शारदीय नवरात्रि की कोटिशः शुभ कामनाओं सहित जय जय श्रीराम भारतीय मित्रों !

जय जय श्रीराम 


शारदीय नवरात्रि की कोटिशः शुभ कामनाओं सहित जय जय श्रीराम भारतीय मित्रों !

वर्तमान में हमारा प्यारा देश भारतवर्ष जिस दौर से गुजर रहा है वह समय किसी भी राष्ट्र के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता। एक ओर आम जनता महंगाई, भ्रष्टाचार, भुखमरी, कुपोषण, अकाल , बाढ यही नहीं पानी, बिजली जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रही है वहीं केंद्र सरकार का आमजन की इन समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है , दूसरी ओर राष्ट्रवादी भारतीयों के विचारों , मन की भावनाओं का भी अनजाने में या फिर जान - बूझकर किये जा रही है , चाहे वह समाधी पर शीश झुकाकर प्रधानमंत्री पड़ का शपथ ग्रहण करना हो या फिर स्वाधीनता संग्राम में लाखों हिन्दू क्रांतिकारियों के योगदान और बलिदान को भूलकर एक आंग्ल सेना के सिपाही पाखण्डी भीरू , पाकपिता गंधी को स्वतंत्रता  का श्रेय देने का जनभावना विरोधी वक्तव्य विदेश में जाकर देने का मामला हो । केंद्र की सरकार सबकुछ छोड़ सिर्फ और सिर्फ गाँधी गान करते हुए विदेशी निवेश अर्थात एफ डी आई और इसके इर्द-गिर्द काम कर रही है। आये दिन समझौते हो रहे एक के बाद एक विदेशी निवेश  ने एक तरह से देश के भविष्य व खासकर युवा वर्ग को खासा प्रभावित किया है। तो दूसरी ओर देश की छवि पर भी बट्टा लगाया है कि भारतवर्ष की पूर्ववर्ती खान्ग्रेसी सरकार ने देश का कह्जना खली कर दिया है अर्थात जाते - जाते लूट कर अपना तिजोरी भरा लिया है जिसके कारण वर्मान प्रधानमंत्री को कटोरा लेकर भीख मांगने की स्थिति आ गई है । हर तरफ देश में एफ डी आई  और महा एफ डी आई की बात हो रही है। चाहे वह रक्षा के क्षेत्र में हो , रेलवे के क्षेत्र में हो , बड़का शहर अर्थात मेट्रोसिटी की हो या फिर शहर या नदी को यहाँ तक कि गंगा माता की सफाई की हो फिर कोई और। पहले से इन एफ डी आईयों से त्रस्त हो चुकी जनता को न जाने आने वाले दिनों में और कौन-कौन से नये एफ डी आईयों अर्थात विदेशी निवेशों की कहानी सुनने को मिलेगी , पत्ता नहीं ।
अगर आपको पत्ता हो तो बतलायें बड़ी कृपा होगी मित्रों !!

Sunday, September 28, 2014

श्रीकृष्ण को नग्न देखने की परम्परा हिंदुओं ने ईसाई व मुस्लिमों से सीखा

श्रीकृष्ण को नग्न देखने की परम्परा हिंदुओं ने ईसाई व मुस्लिमों से सीखा



यह हज़रत आदम है कौन जिन्होंने अल्लाह का आदेश नहीं माना ? दुनिया में जितने भी मत, पंथ, और मजहबी किताब है, उनमे बाईबिल, और कुरान में ही मिलता है इन आदम का किस्सा, जिसे अल्लाह ने बड़े अरमान से बनाया | बाईबिल में बताया की गॉड ने आदम को अपनी शकल सूरत वाला बनाया, पहला प्रमाण यही मिलगया की अगर गॉड का शकल सूरत है, जो अपना जैसा आदम को बनाया, तो वह गॉड शरीरधारी ही है | गॉड ने आदम को मिटटी से रचा, और उसके नथनों में जीवन का श्वास फुका और आदम जीवित प्राणी बन गया तब यहोवा परमेश्वर ने पूर्व की ओर अदन में एक वाटिका लगाई, और उसमे आदम को जिसे उसने बनाया उसे रखा | और यहोवा परमेश्वर ने सब प्रकार के वृक्ष जो देखने में मनोहर और खाने के लिए अच्छे थे, भूमि से उगाए, और वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को तथा भले बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया |

* दुनिया वालो यह याद जरुर रखना की, बाईबिल में ज्ञान बृक्ष में लगते है जो फल नुमा है| वाटिका को सीचने के लिए अदन में एक नदी बहती थी जो आगे बहकर चार नदियों में विभाजित हो जाती थी | पहली का नाम पीशोन है यह ह्वीला नाम के सारे देश को, जहाँ सोना पाया जाता है, घेरे हुए है | उस देश का सोना उत्तम होता है | वहाँ मोती और सुलैमानी पत्थर भी मिलते है | दूसरी नदी का नाम गीहोन है यह कूश के सारे देश को घेरे हुए है | और तीसरी नदी का नाम दजला है यह अश्शुर के पूर्व की ओर बहती है | चौथी नदी का नाम फ़रात है | तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को लेकर अदन की वाटिका में रखा कि वह उसकी बागवानी और देखभाल करे |

*गॉड ने आदम को उस बगीचे का माली बनाया, कारण बगीचेका देख भाल माली ही तो करता है | फिर यहोवा परमेश्वर ने आदम को यह कहकर आज्ञा दी “तू वाटिका के किसी भी पेड़ का फल बेखटके खा सकता है, परन्तु जो भले और बुरे के ज्ञान का वृक्ष है उसमें से कभी न खाना, क्योकि जिस दिन तू उसमें से खाएगा उसी दिन तू अवश्य मर जाएगा”|

* यानि गॉड की इस बात को मिथ्या प्रमाणित कर दिया शैतान ने, गॉड ने कहा की इस फल को खाने से मर जायेगा, और शैतान ने उसी फल को खिला कर आदम को बतादिया की गॉड झूठा है, इसको खाकर देखो नहीं मरोगे, और शैतान की बात सही निकली| अब दुनिया वालो आप सब को यह निर्णय लेना होगा की पूजने लायेक झूठा गॉड है, अथवा वही सत्यवादी, जिसे बाईबिल और कुरान ने शैतान कहा ? यह मानव समाज के सामने बहुत बड़ा सवाल खड़ा है | की जो झूठ बोले दुनिया तो उसे गॉड या अल्लाह के नामसे उसकी इबादत कर रहे हैं, और जो सत्य बोलकर अल्लाह अथवा गॉड की बातों को मिथ्या प्रमाणित कर दिया उसे ही शैतान कह रहे |

फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, “आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं है | मै इसके लिए एक उपयुक्त सहायक बनाऊंगा” और यहोवा परमेश्वर भूमि में से प्रत्येक जाति के वन-पशु और आकाश के सब प्रकार के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया, की देखे की वह उनका क्या नाम रखता है और आदम ने प्रत्येक प्राणी को जो नाम दिया, वही उसका नाम हो गया | और आदम ने सब घरेलू पशुओ, आकाश के पक्षियों, और भूमि के सब वन-पशु के नाम रखे, पर आदम के योग्य कोई सहायक न मिला | अत: यहोवा परमेश्वर ने आदम को गहरी नींद में डाल दिया, और वह जब सो रहा था तो उसने उसकी एक पसली निकालकर उसके स्थान में मास भर दिया | तब यहोवा परमेश्वर, आदम में से निकाली गयी उस पसली को से एक स्त्री की रचना करके, उसे आदम के पास ले आया | और आदम ने कहा, “यह तो मेरी हड्डियों में की हड्डी, और मेरे मास में का मास है अत: यह नारी हुई क्योकि यह नर में से निकाली गई है | इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा, और वे एक ही तन बने रहेंगे |

*-इस किस्से को कुरान और बाईबिल दोनों ही माना है, जो यह कहागया की पुरुष के हड्डी और मांस से उनकी पत्नी और जोड़ा को बनाया, और कहा की वह दोनों एक ही तन बने रहेंगे, फिरतो ईसाई और मुसलमानों में पत्नी का तलाक नहीं होनी चाहिए ? आदम और उसकी पत्नी दोनों नंगे थे, पर लजाते न थे |

* यहाँ दो बातें होंगी एकदम निरवस्त्र रहना बेशर्मी है, तो यह मानलेते हैं की अभी वस्त्र बना नहीं तो दोनों निरवस्त्र रहे, किन्तु जो शारीर धारी गॉड अथवा अल्लाह है, वह तो निरवस्त्र वाले स्त्री और पुरुष को देखना पसंद करते रहे | शायद हिन्दू घराने वालों ने इसका ही अनुकरण किया, और परमात्मा निराकार होने से, शरीरधारी श्री कृष्ण जी को इसी कम में लगा दिया, जैसा महिलाओं का कपड़ा ले कर पेड़ पर चढ़ गये और उन्हें नंगी देखने को कह रहे की ऊपर आवो | हमारे हिन्दू घराने वालों ने यह नक़ल उतारी बाईबिल और कुरान की |

अब देखें कुरानानुसार आदम की कहानी तो मिलती जुलती ही है बाईबिल से, और इन दोनों किताब ने माना है की अल्लाह या गॉड ने आदम को बनाकर उसमे रूह {आत्मा} डाली अल्लाह और गॉड ने, किन्तु उसी आदम पत्नी को बिना रूह या आत्मा के गॉड या अल्लाह ने बनाया | अब यह बात कहाँ तक ठीक और सत्य है अथवा होना संभव है पढ़े लिखे लोग विचार करें | हैरानी तो इस बात की है की जो लोग अपने को पढ़े लिखे, एमफिल और, पीएचडी कोई एम बी बी एस , और जीव विज्ञानं का जानने वाले भी इसको सत्य मान रहे है |

इसका कारण जो मैं पाया हूँ, की ऊपर दर्शाए गये किससे से आप लोगों को पता लगा ही होगा की अल्लाह –या गॉड ने अकल का पेड़ जो अदन के बगीचे में लगाया, और उस के फल को खाने को मना किया, तो जब अकल के फल यह खायेंगे नहीं तो इनकी अकल आयेंगी कहाँसे ? यही कारण है कुरान और बाईबिल वालों की, की अकल से काम न लो, जानो मत, सिर्फ मानो, जानोगे तो ईमान से हाथ धोना पड़ेगा |

Tuesday, September 23, 2014

आरक्षित झारखण्ड की विचित्र कथा

आरक्षित झारखण्ड की विचित्र कथा

हमारे झारखण्ड प्रांत की भी विचित्र कथा है ! यहाँ के चिकित्सीय शिक्षण संस्थानों में आरक्षित वर्ग अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के नामांकन हेतु चालीस प्रतिशत न्यूनतम अंक निर्धारित की गई है , लेकिन इस अत्यल्प न्यूनतम अंक सीमा को भी प्राप्त करने वाले अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थी राज्य में ढूंढें से भी नहीं मिल रहे . जिसके कारण राज्य की शिक्षण संस्थाओं के शताधिक आरक्षित सीटें वर्षों से रिक्त पड़ी हैं . परिणामस्वरूप झारखण्ड सरकार हैरान - परेशांन है . उसने इस मामले को लेकर झारखण्ड उच्च न्यायलय में चल रहे एक मामले में न्यायालय से गुहार लगाईं है कि रिक्त पड़े चिकित्सीय शिक्षण संस्थाओं की सीटों को अन्य जाति वर्ग के सुयोग्य उम्मीदवारों से नहीं भर कर अनुसूचित जनजाति वर्ग के ही विद्यार्थियों का नामांकन सुनिश्चित कराने के लिए अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए न्यूनतम अंक सीमा और भी कम कर देने की अनुमति देने की कृपा की जाए ताकि अनुसूचित जनजातीय बहुल क्षेत्रों के निवासियों के इलाज हेतु आरक्षित वर्ग के इन चिकित्सकों की नियुक्ति भविष्य में की जा सके. झारखण्ड सरकार ने न्यायलय को बतलाया कि उसने यह गुहार केन्द्र सरकार से भी लगाईं है कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों की चिकित्सीय संस्थानों में नामांकन सुनिश्चित करने हेतु इनके न्यूनतम अंक सीमा को और भी घटाकर अत्यल्प कर दिया जाये ताकि झारखण्ड सरकार की मंशा पूर्ण हो सके . उधर जानकार सूत्रों का कहना है कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के चालीस प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की प्रान्त में कमी तो है ही लेकिन असली बात है कि प्रान्त के कुछ विधायिका व कार्यपालिका के कुछ प्रतिष्ठितों के बिगडैल संतानॉन का नामांकन चिकित्सीय संस्थानों में सुनिश्चित करने के लिए यह सारा हथकंडा रचा गया है .

कल मैं अंतर्जालीय अपराध (साइबर क्राइम) का शिकार होते - होते अर्थात लूटते - लूटते बचा !

कल मैं अंतर्जालीय अपराध (साइबर क्राइम) का शिकार होते - होते अर्थात लूटते - लूटते बचा !

आज - कल आये दिन लोगों के अंतर्जालीय अपराध (साइबर क्राइम) का शिकार होकर बैंक से पैसा गंवाने की खबर आम हो चली है . ऐसा ही कुछ कल दिनांक २२ / ०९ / २०१४ को सायं काल ०७:५८ :०० बजे मेरे साथ हुआ . शाम के ठीक सात बचकर अनठावन मिनट पर मेरे निजी चलंत दूरभाष पर दूरभाष संख्या (फोन नम्बर) +९१८०५१०२३३४५ से एक दूरभाष (फोन / कोल) आई .जब मैंने बात करने के लिए दूरभाष चालू की तो उधर से एक कोमल नारी की मधुर आवाज सुनाई डी. उधर से बात करने वाली नाजनीन ने बड़े ही कोमल स्वर में कहा कि हल्लो गुड इवनिंग सर . मैंने जब प्रत्युत्तर में उन्हें शुभ संध्या की तो उन्होंने कहा कि मैं बैंक मैनेजर हूँ , हम लोग सर्वे कर रहे हैं . आपके कौन - कौन से बैंक में कितने ऐ टी एम कार्ड हैं उनका नम्बर दीजिए . प्रत्युत्तर में मैंने कहा कि मेरे पास किसी भी बैंक का कोई भी ऐ टी एम कार्ड नहीं है . इस पर उधर से बात करने वाली ने कहा कि बैंक में खाता तो होगा उसका पास बुक नम्बर ही दे दिजिए . इस पर मैंने कहा कि मेरा अब तक किसी भी बैंक में किसी प्रकार का कोई खाता नहीं है , अब प्रधानमंत्री जन - धन योजना से किसी बैंक में खाता खुलवाने के लिए एक पहचान पत्र बनवाने की फिराक में हूँ , इस पर वे आश्चर्य व्यक्त करने लगी . जब मैंने पूछा कि आप कौन सी बैंक की मैनेजर हैं तो उधर से कहा गया कि मैं आर बी आई से हूँ . इस पर मैंने कहा कि आर बी आई ? तो उन्होंने कहा कि हाँ आर बी आई - रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया कहते हुए उधर से फोन काट दिया गया .

Tuesday, September 16, 2014

अत्याचारी इस्लामी आतकवादियों की बर्बरता और राक्षसपन से सम्पूर्ण विश्व कर रहा त्राहि - त्राहि

अत्याचारी इस्लामी आतकवादियों की बर्बरता और राक्षसपन से सम्पूर्ण विश्व कर रहा त्राहि - त्राहि 

भारतवर्ष विभाजन के पूर्व और पश्चात भी हमारे देश और जाति पर वह अत्याचार होते रहे हैं जिनके आगे सभ्यता और शिष्टाचार का कोई मूल्य नहीं रह गया है , मेरा तात्पर्य अत्याचारी इस्लामी आतकवादियों की बर्बरता और राक्षसपन से है । देश के जम्मू - कश्मीर , पश्चिम बंगाल , आसाम आदि सीमान्त प्रदेश सहित सम्पूर्ण भारतवर्ष में सहस्रों ग्राम और नगर खंडहर हो गये, लाखों लोगों का नाश हुआ, अगणित अबलाओं का सतीत्व लूटा गया, हरी-भरी खेतियां जलाकर राख कर दी गईं । यह ठीक है कि इन बर्बरों के गोली - बारूद की आग और भाले की नोंक अभीब देश के कई राज्य व गांव तक नहीं पहुंची, परन्तु उनके अमानुषिक अत्याचार की कहानियां आज समूचे देश और सम्पूर्ण विश्व के कानों में गूंज रहीं हैं । कोई कारण नहीं कि वह आप तक न पहुंची हो । हमारे साधु-सन्यासी और भिक्षु यही उपदेश देते हैं कि किसी प्राणी को दुःख मत दो, किसी छोटे से छोटे जीव को मत सताओ । उनके इस कथन के प्रति किसी को इन्कार नहीं, परन्तु संसार में प्रतिदिन होने वाली आतंकवादी घटनाओं को देखकर हमें बड़े दुःख से कहना पड़ता है कि सांसारिक व्यवहार और राजनीति में बुरे लोगों के साथ सच्चाई करने में हमेशा धोखा खाना पड़ता है । आप लोग मुस्लिमों को ही देखें, क्या आप में से कोई बता सकता है कि भारतवर्ष अर्थात हिन्दुस्तान और बहुसंख्यक भारतीयों अर्थात आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दुओं ने इनका क्या बिगाड़ा था, इन पर किसी प्रकार का आक्रमण किया था अथवा इनको किसी अधिकार से वंचित रखा था, जिस कारण इन निर्दयी अत्याचारियों ने अहिंसा और शान्ति के पुजारी भारतीयों का मुग़ल काल के पूर्व से ही नरमेध आरम्भ कर दिया, मनमानी लूट-खसोट शुरू कर दी । विभाजन के पूर्व से लेकर आज तक सैंकड़ों गांवों, हजारों एकड़ लहलहाती खेती को भस्मसात् कर दिया । ७११ ई० में उनके आरंभिक आक्रमणों के समय से ही सब स्थानों पर भारतीयों ने अपने शिष्टाचार और अहिंसा की ढ़ाल से इन को रोकना चाहा परन्तु प्रत्येक स्थान पर बर्बरता तथा बरछों की मार से यह दीवार टूटकर खंड-खंड हो गई । खम्भों से बंधे पिता-पुत्रों ने अपनी आंखों से बहिन और बेटियों पर राक्षसी बलात्कार होते देखा, उसी प्रकार पुजारी और भक्तों के सन्मुख उनके प्रिय देवताओं की मूर्तियों को खंडित किया गया, गगनचुम्बी मन्दिरों के तोरणों को धूल में मिला दिया गया । उनकी यह करतूत सारे संसार में आज भी अनवरत रूप से जारी है और सम्पूर्ण विश्व इस्लामी आतंकवाद से त्राहि - त्राहि कर रहा है , परन्तु इससे निजात का कोई साधन विश्व की सरकारों के पास दिखाई नहीं देता l

अधिसूचना जारी होने के साथ देश में आदर्श चुनाव संहिता लागू -अशोक “प्रवृद्ध”

  अधिसूचना जारी होने के साथ देश में आदर्श चुनाव संहिता लागू -अशोक “प्रवृद्ध”   जैसा कि पूर्व से ही अंदेशा था कि पूर्व चुनाव आयुक्त अनू...