Sunday, March 30, 2014

देश की आत्मा के साथ खिलवाड़ करने वालों को कोई भी राष्ट्रप्रेमी देशभक्त बर्दाश्त नहीं कर सकता l देश के हित में भारतीयों को , भारत , भारतीय और भारतीयता के समर्थकों को तत्परता से इसका विरोध करना होगा l अशोक "प्रवृद्ध"

देश की आत्मा के साथ खिलवाड़ करने वालों को कोई भी राष्ट्रप्रेमी देशभक्त बर्दाश्त नहीं कर सकता l देश के हित में भारतीयों को , भारत , भारतीय और भारतीयता के समर्थकों को तत्परता से इसका विरोध करना होगा l
अशोक "प्रवृद्ध"


हमारा देश भारतवर्ष सब कुछ सहन कर सकता है परन्तु देश की आत्मा से जो आज खिलवाड़ कर रहा है और राक्षसी अट्टहास लगाये जा रहे है उसको कोई भी राष्ट्रप्रेमी देशभक्त बर्दाश्त नहीं कर सकता l देश के हित में भारतीयों को , भारत , भारतीय और भारतीयता के समर्थकों को तत्परता से इसका विरोध करना होगा l कम से कम इस रोमकन्या निमोनिया की चंगुल में बुरी तरह फंसी खान्ग्रेस और उसके कुछ दिग्भ्रमित नेताओं तथा खान्ग्रेस के खड़ा किये गए रणछोड़दास खाँसड़ उर्फ केजरीवाल के नाजायज कुतर्को का तो जवाब देना ही होगा l ये आसन्न चुनावी काल में देश में घोर साम्प्रदायिकता फैला रहे हैं l देश का चुनाव आयोग , सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति जी इसका तुरंत संज्ञान लें कि क्यूँ खांग्रेस पार्टी और उसका गुंडा इमरान मसूद , अब रोम कन्या निमोनिया का गूंह अपने मुँह में भरे होने के कारण चुप हो जाने वाला दिग्भ्रमित खांग्रेसी दिग्विजय सिंह ईसाई , और कई बड़े खांग्रेसी नेता  एवं केजरीवाल आदि हिंदुओं के चहेते नरेंद्र भाई मोदी , अन्य हिंदुत्व से सम्बंधित व्यक्तियों , राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, हिन्दूओं और संत समाज को गाली देने के लिए खांग्रेसी रैली के नाम पर मुस्लिम सभा , मुस्लिम मंच का इस्तेमाल किसी को बोटी - बोटी कर काट देने की धमकी देने के लिये , देश की आत्मा के साथ खिलवाड़ करने वालों को कोई भी राष्ट्रप्रेमी देशभक्त बर्दाश्त नहीं कर सकता lहिंदुओं को समाप्त करने की धमकी देने , हिन्दू देवी - देवताओं और हिन्दू प्रतिक चिह्नों को अपमानित कर अपना वोट बैंक बनाने के लिए क्यूँ कर रहे हैं ? सरकारी संरक्षण में कांग्रेसी मंत्री और नेता देश भर में घूम - घूम कर क्यों हिन्दू (हिंदुत्व) , हिन्दी और हिंदुस्तान को गाली दे रहे हैं ? मंत्री सरकारी मीडिया का दुरूपयोग कर झूठ क्यूँ बोल रहे है , झूठ का प्रचार क्यूँ कर रहे हैं ?

मेरा मुस्लिम समाज से भी निवेदन है कि ये अहंकारी,निर्ल्लज , झूठे ,दम्भी , असंस्कारी, भ्रष्टाचारी, क्रूर खांग्रेसी नेता और मंत्री व खांग्रेसी गुण्डे उनकी सभाओं , उनकी बैठकों ,  उनके मंचो का प्रयोग आर्य सनातन वैदिक धर्मावलंबी हिन्दुओ को गाली देने और उनके देवी -देवताओं ,प्रत्तीक - चिह्नों , संत समाज का अपमान करने के लिए कर रहे हैं l खान्ग्रेसियों और छद्म धर्मनिरपेक्ष सहयोगियों के इस दुष्कृत्य से साम्प्रदायिकता नहीं फैलेगी तो क्या होगा? आपने कभी देखा और सुना है कि  किसी और देश में इस तरह की निर्लज्जता और अहंकार की परकाष्ठा ? यदि देश की लोकतान्त्रिक और प्रशासनिक शक्तियाँ इसका संज्ञान , इस बात की नोटिस नहीं लेती तो भविष्य में होने वाले देश के माहौल  को ख़राब होने से शायद ही बचाया जा सके l

और मित्रो ! ध्यान देने की बात है खान्ग्रेस अपनी आसन्न लोकसभा चुनाव में पराजय से पूर्व ही बुरी तरह बौखला गई है l कहाँ उसे हर हालत में लोकसभा चुनाव में सफलता चाहिए ही थी और यहाँ दाँव उल्टा पड़ गया l आखिर खांग्रेस के युवराज के राजनीतिक भविष्य (कैरिअर) का जो सवाल है l परन्तु प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या हमें देश में दिन के उजाले में किसी एक शख्स , किसी भी राजनीतिक पार्टी को देश कामाहौल ख़राब करने की इजाजत देनी चाहिए ?

भारतवर्ष के विभाजन की जनक खान्ग्रेस अर्थात कांग्रेस पार्टी विरोधी भी अपनी पसंद की अपने आप ही चुन रही है - अशोक "प्रवृद्ध"

भारतवर्ष के विभाजन की जनक खान्ग्रेस अर्थात कांग्रेस पार्टी विरोधी भी अपनी पसंद की अपने आप ही चुन रही है 
अशोक "प्रवृद्ध"

"अहंकार की चरम सीमा होती है जब कोई व्यक्ति या संस्था या फिर पार्टी अपना विरोधी भी अपनी पसंद के ही बनाना चाहता हो , चुनना चाहता हो " , जैसे कि भारतवर्ष के विभाजन की जनक खान्ग्रेस अर्थात कांग्रेस पार्टी विरोधी भी अपनी पसंद की अपने आप ही चुन रही है l भ्रष्टाचार की सत्ता की मलाई चाटने वाले कांग्रेसी और उसके सहयोगी इस डर में जी रहे है कि कहीं उनके सत्ता में से किसी कारण से नहीं आ पाने अर्थात हटने पर उनको सच में कोई फांसी पर ही न लटका दे, इसलिए पहले से ही इंतजाम कर लिया कि कम से कम सजा से तो बचा जाये l


मित्रो ! खान्ग्रेस की सोच है कि यदि विरोधी भी कोई गाँधीवादी ब्रांड होगा तो फिर वह माफ़ करने में भी अपनी "गाँधीवादी नीति" दिखाएगा l जिस नीति के तहत अंग्रेजो ने अपने विरोधी के रूप में शहीद भगत सिंह ,  नेताजी सुभाष चन्द्र बोस , चंद्रशेखर आजाद , वीर सावरकर जी के स्थान पर अपनी ही पसंद के "महात्मा ढोंगी गाँधी" और "चरित्रहीन जवाहर लाल नेहरू" को विरोधी चुना था l और उन्ही को भारत देश की तथाकथित स्वाधीनता दिलाने के ढोल पीटे गए थे. एक बार जरा सोचिए कि ऊपर बताये नामो में से यदि किसी राष्ट्रवादी और भारत माता प्रेमी को देश की स्वाधीनता  दिलाने का सेहरा बंध जाता तो क्या आज देश की यह हालत होती ? नहीं , कदापि नहीं  l  मित्रो ! अंग्रेजो ने भी सुविधा के हिसाब से अपना विरोधी चुना और उसी के बल पर आज तक "परदे के पीछे से" भारतवर्ष पर अपना कब्ज़ा जमाये हुए है l  देश को गाँधी आतंकवाद और खांग्रेस गेंग की वजह से न तो सच्ची स्वाधीनता मिली और न ही देशवासियों के मन और मस्तिष्क से हजारों वर्षों की परतंत्रता से उपजी हीनता का ही बोध हट पाया l इसी प्रकार से आप अन्ना हजारे और उसके भ्रष्टाचार के विरूद्ध दिखावे की लड़ाई से उपजे  रणछोड़दास खाँसड़ उर्फ अरविन्द केजरीवाल की आम अराजकता पार्टी अर्थात आम आदमी पार्टी नामक मुखोटा देख ले l मित्रो ! हर आदमी में कहीं न कहीं "बड़ा और प्रसिद बनाने की इच्छा रह ही जाती है" और  अन्ना हजारे तथा उनके अप्रत्यक्ष चेले रणछोड़दास खाँसड़ इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध क्रांति की धार को कुंद कर रहे है और छद्म स्वाधीन भारतवर्ष में अनाचार , व्यभिचार और भ्रष्टाचार तथा भारत माँ के विभाजन की जनक खान्ग्रेस को एक तरह से राहत ही पहुंचा रहे है l मित्रो इसका भी कारण है उनके तथाकथित चेले  मीडिया की रचना (क्रियेशन) रणछोड़दास खाँसड़ उर्फ अरविन्द केजरीवाल जी , जो कि  इस देशद्रोही , राष्ट्र्घातक कुकृत्य को क्रांति का नाम दे रहे है परन्तु उन्हें यह नहीं मालूम अथवा जान -बूझकर क्रांति के नाम पर टाट के पैबन्द लगा रहे है l


मित्रों ! कहीं और कोई राष्ट्रवादी संस्था देश में फैले भ्रष्टाचार के बहाने इस फसल को न काटले इसलिए खान्ग्रेस ने अपना इंतजाम कर दिया है l खान्ग्रेस ने सदैव ही अपने विरोधियों की विभिन्न मनगढंत मामलों में फंसाकर नीवें हिला कर रख दी हैं ऐसे में अन्ना हजारे और उसके चेले केजरीवाल और अन्य सहयोगियों की किसी भी मामले में नाम ण आना , उनके बैंक खतों अर्थात अकाउंट की जांच की बात किसी भी खांग्रेसी के द्वारा अभी तक नहीं सुना जाना खान्ग्रेस की इस साजिश के मूर्तरूप होने के संदेह को ही पुष्टि क्या करता है l उल्टे खान्ग्रेस के द्वारा कुछ इस प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है , कुछ ऐसा प्रचार किया जा रहा है कि अन्ना हजारे ब्रांड के आम अराजकता पार्टी की उनचास दिनी रणछोड़दास खाँसड़ उर्फ केजरीवाल की खुजली सरकार  को संघ का घोषित कर दिया मतलब चोर की दाड़ी में तिनका , और उस पर तुर्रा अर्थात बड़ा कमाल यह है कि जो भ्रष्टाचार की अखंड प्रतिमा "दस जनपथ" में विराजित है उसको मीडिया में ऐसा निरुपित किया जा रहा है जैसे कि के लिए उसके प्राण पखेरू हो रहे हैं l  हाल के दिनों में ही मीडिया ने देश में क्रांति का ऐसा वातावरण तैयार कर दिया कि बस इस आम अराजकता पार्टी के सत्ता में आने के बाद देश में से भ्रष्टाचार ऐसे गायब हो जायेगा जैसे की गधे के सर से सींग l मित्रों ! अन्ना हजारे ब्रांड के आम अराजकता पार्टी की उनचास दिनी रणछोड़दास खाँसड़ उर्फ केजरीवाल की खुजली सरकार  ने यह साबित कर दिया कि राज्य अर्थात सरकार चलाना उसके वश की बात नहीं भले ही वह कुछ दिनों तक भारतीय जनता को बरगलाकर बेवकूफ बना ले l

आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दू कदापि आतंकवादी नहीं हो सकता भले ही क्रांतिकारी हो !

आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दू कदापि आतंकवादी नहीं हो सकता भले ही क्रांतिकारी हो !

हमारे देश भारतवर्ष की  आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दू जाति ने १००० वर्ष की जिल्लत भरी दोयम दर्जे का जीवन व्यतीत किया है और जो ऐसी जिंदगी नहीं जी सके वो वीर सावरकर, वीर शिवाजी, वीर महाराणा प्रताप बन गए . आज भी वही युग है.  रोमकन्या सोनिया गाँधी जी और उसके इसाई - मुस्लिम गैंग यह बात जान लो कि साठ वर्ष नहीं वरण अगले १००० वर्ष भी हम हिन्दुओ पर अत्याचार करोगे , तो भी सनातनियों के खून से , हिन्दुओ के डी एन ऐ से त्याग, तपस्या, देश प्रेम, सार्वभौमिकता , स्वतंत्रता का तत्व अलग नहीं कर पाओगे . जो बात इस इसाई-मुस्लिम गैंग को समझ नहीं आता है वह यह है कि हर हिन्दू अपने जीवन में बाल्याश्रम , शिक्षाश्रम , गृहस्थाश्रम और वान्यप्रस्थ (संन्यास) आश्रम अर्थात बाल्यावस्था, विद्यार्थी जीवन, गृहस्थ जीवन और वानप्रस्थ जैसी चक्र से गुजरता है. हर हिन्दू अपने जीवन में धनोपार्जन करता है और फिर अंत में उसे त्याग कर के मोक्ष की चाह में सारे सुख और सुविधा त्याग देता है. और वन अथवा काशी गंगा के किनारे शेष जीवन मोक्ष प्राप्ति की आस में गुजर देता है. सोनिया  के नेतृत्व में खान्ग्रेस के द्वारा जो ज्ञान का घूँट देशवासियों को पिलाया जा रहा है कि हिन्दू आतंकवादी हो गया है हिंदुत्व का पावन - पवित्र रंग भगवा आतंकवादी रंग हो गया . हमें उसकी पुरजोर निंदा करनी चाहिए और बता देना चाहिये कि आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दू कदापि आतंकवादी नहीं हो सकता भले ही क्रांतिकारी हो.
 जिन खांग्रेसियो को आतंकवादी और क्रन्तिकारी में अंतर ही नहीं मालूम है वो इस देश के पानी और गंगा जल को एक समान ही मानते रहेंगे. जो लोग गाय और शेष अन्य पशुओ को बराबर एकसमान ही मानेगे उनके ज्ञान पर मुझे तरस ही आता है.

अरे बेवकूफ खान्ग्रेसियों और उसके छद्म धर्मनिरपेक्ष सहयोगियों !
जब किसी देश के ९० प्रतिशत लोगो को किसी बात की पीड़ा होती है तो वो आतंकवादी नहीं क्रन्तिकारी बनते है और उसको क्रांति कहते है. अपने ही देश में ९०% हिन्दू अपने को यदि हिन्दू राष्ट्र भी घोषित करते या कौशिश करते है तो भी आतंकवादी नहीं ज्यादा से ज्यादा आप उसको क्रांतिकारी ही कह सकते हो. और क्रांति हिन्दुओ के खून में है, क्रांति ही तो श्री कृष्ण ने अंधे धृतराष्ट्र के और गुंडे दुर्योधन के विरुद्ध की थी. खैर बड़ी बात है आप जैसे देशद्रोहियों के समझ में यह बात नहीं आयेगी.  अरविंदो और विवेकनंद जी भी तो क्रांति की ही बात करते थे. स्वामी राम देव जी भी तो देशो को क्रांति ही की तरफ प्रेरित कर रहे है. क्रांति का रूप क्या हो यह अलग चर्चा का विषय हो सकता है. अरे गधे ! अरे नरपिशाचों ! इस देश के सर्वोच्च न्यायलय अर्थात सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व को जीवन जीने की एक पद्धत्ति माना है. तो यदि कल को इस भारत देश के बहुसंख्यक लोग भी ऐसा फैसला ले लें कि सारा राष्ट्र हिन्दू पद्धत्ति  से ही जीएगा और राष्ट्र हिन्दू राष्ट्र है और हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाये तो इसमें गलत क्या है ?

Wednesday, March 26, 2014

सहस्त्राब्दियों वर्षों की धरोहर की उतुंग थाती रखते हुए भी हम आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दू सौ साल पहले के एक ढोंगी व्यक्ति को अपना बाप बनाए क्यूं घूम रहे हैं ? - अशोक "प्रवृद्ध"

वन्दे भारतमात्तरम 

सहस्त्राब्दियों वर्षों की धरोहर की उतुंग थाती रखते हुए भी हम आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दू सौ साल पहले के एक ढोंगी व्यक्ति को अपना बाप बनाए क्यूं घूम रहे हैं ? 
अशोक "प्रवृद्ध"

गौरवमयी भारतवर्ष की हमारी चमचमाती पहचान तो पाताल के गर्त्त में छुपी हुई है और हम इंडिया - इंडिया करते हुए उसके बापू गाँधी, चाचा नेहरू के नाम की जाप करने में लींन हैं l क्या आप कभी इस बात पर चिंतन - मनन करते हैं कि दो अरब से भी अधिक वर्षों का इतिहास रखते हुए , सहस्त्राब्दियों वर्षों की धरोहर की उतुंग थाती रखते हुए भी हम आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दू सौ साल पहले के एक ढोंगी व्यक्ति को अपना बाप बनाए क्यूं घूम रहे हैं ? क्या भारतमाता पर गर्व करने वाले भारत माँ की संतान उस राष्ट्र के टुकड़े करने वाले चरित्रहीन पाखंडी शख्स पाकपिता को बापू मान ले ?  आदि सनातन काल से छोड़ भी दिया जाये तो भी गत्त पाँच हजार वर्ष के काल में भी मोहन दास करमचंद गाँधी को बापू मान लिया जाता है तो भी पाँच हजार साल के अंदर के लाखों महान ऋषि - मुनियों, साधु - संतों , महापुरूषों  , विद्वतजनों के मुँह पर कालिख पोतने के तुल्य , समान होगा l
जय जय श्रीराम 

भारतवर्ष के विभाजन के जनक खान्ग्रेसियों और गांधीवादी ढोंगियों !
गाँधी होगा तेरा बाप क्यूंकि मेरे श्रीराम , मेरे कृष्ण जिसने इस जैसे अरबों बापों के बाप महाबाप होने के बावजूद  क्रमशः सम्पूर्ण जग को जीत कर भी वहाँ का सम्राट बनना स्वीकार न कर राज्य वहाँ के योग्य व्यक्ति को सौंप प्रण के अनुसार मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम ने स्वयं वनवासी बनना स्वीकार किया , महाभारत युद्ध के प्रणेता और परिणाम के संचालक और श्रीमद भगवदगीता के उद्घोषक होने के बाद भी श्रीकृष्ण ने अपने को माखनचोर , रणछोड़ , ग्वाला , और पत्ता नहीं क्या - क्या कहलवाया परन्तु बाप नहीं कहलवाया l लोकमान्यता अनुसार स्वयं सम्पूर्ण संसार के पालन - पोषण करने वाले साक्षात् विष्णुस्वरूप अर्थात विष्णु के अवतार होने के बाद भी श्रीराम , श्रीकृष्ण ने भी अपने को बाप अथवा बापू नहीं कहलवाए , कारण कि उनके पूर्व जो पूर्वज थे उनको गाली तो कदापि सनातन धर्म में नहीं दे सकते ,इस धरती माता से तो हम कोई धृष्ठता नहीं कर सकते l करने वाले करो , परन्तु हम तो कदापि नहीं कर सकते क्योंकि जिसके लिए पिता अर्थात नाप की कोई कीमत न हो और अपने बाप के बाद भी बाप बनाने की प्रवृत्ति वालों को हमारे यहाँ चापलूस , भडुवा , दलाल या फिर गलत माना जाता है l

 तो भैया आने वाली सरकार इस बार २ अक्तूबर को अपने इंडिया के बाप का विज्ञापन न करे हा देश के लिए कोई एक बड़े व्यक्ति , महापुरूष का सम्मान कर सकते है उसमे हम भी प्रेम भाव से शामिल होंगे l परन्तु बाप तुम्हारे इंडिया का और खुशिया हम श्रीरामनवमी और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने वाले भारतीय मनाये तो मित्रो यह तो नहीं ही चलेगा l

Thursday, March 20, 2014

वन्दे भारतमातरम् !!!

वन्दे भारतमातरम् !!!



वन्दे भारतमातरम् !!!

हम भारतवासी माँ की भान्ति ही पृथ्वी , नदी , कई जीव- जन्तु और यहाँ तक की अपने देश , अपनी राष्ट्र को माता के सामान पूजनीय मान नित्यप्रति नमन करते हैं , वन्दन

रत्नाकराधौतपदां हिमालायकिरीटिनीम !
ब्रह्मराजर्षिरत्नाढयां वन्दे भारतमातरम् !!!

अर्थात -रत्नों की खान समुद्र जिसके पैर धोता है, हिमालय जिसका मुकुट है, ब्रह्मर्षियों और राजर्षियों रुपी रत्नों से समृद्ध ऐसी भारतमाता की मैं वंदना करता हूँ !!!

भारतीयों का परम धर्म , परम कर्तव्य और परम अधिकार है कि भारत , भारतीय और भारतीयता विरोधी व भारतमाता का विभाजन करने वाली राजनीतिक पार्टी को पराजित कर घुटने टिकवा देश निकाला करना

                                         

भारतीयों का परम धर्म , परम कर्तव्य और परम अधिकार है कि भारत , भारतीय और भारतीयता विरोधी व भारतमाता का विभाजन करने वाली राजनीतिक पार्टी को पराजित कर घुटने टिकवा देश निकाला करना 







वर्तमान में समस्त आर्य सनातन वैदिक धर्मावलंबी हिन्दू समाज और उससे जुड़े हिन्दुत्ववादी संगठन तथा हिंदुओं के गुरू - साधु - संत एक बड़ी गहरी षड्यंत्र अर्थात साजिश के शिकार हो रहे है l वो जितना इस से निकलने की कौशिश कर रहे हैं उतना ही इसमें धंसते चले जा रहे हैं और इस का प्रत्यक्ष उदहारण है - हिन्दुवादी संगठनों और उनके धर्म गुरूओं पर विभिन्न प्रकार के लान्क्षण लगाकर उनका दुष्प्रचार कर केश - मुकादमों में फंसाना l हिंदुत्व के विरूद्ध इस अत्यंत ही गहरी साजिश को हिंदुओं को समझना पड़ेगा और अगर आज समय रहते नहीं समझे तो अगले कुछ वर्ष सिवाए रोने और पीटने के कुछ नहीं बचेगा l इसलिए भारतीय मतदाताओं से आग्रह है कि वे राष्ट्र अर्थात भारत , भारतीय और भारतीयता को समर्पित राजनीतिक दल और प्रत्याशियों को ही अपना मत अर्थात वोट देकर देश को विदेशियों और विदेशी मानसिकता वाले लोगों से बचाकर देश को सुरक्षित व संरक्षित करने में अपनी सहभागिता व देशभक्तित्व निभाएं , प्रकट करें l


यह हम भारतीयों का परम धर्म , परम कर्तव्य और परम अधिकार है कि आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दू धर्म को अपवित्र करने के घृणित उद्देश्य की पूर्ति हेतु भगवा आतंकवाद , हिन्दू आतंकवाद नामक शब्दजाल बुनने वाली भारत , भारतीय और भारतीयता विरोधी व भारतमाता का विभाजन करने वाली राजनीतिक पार्टी को सड़क से लेकर संसद तक घेरना पड़ेगा और उसको घुटने टिकवा देश निकाला करना ही पड़ेगा , अन्यथा हम भारतीयों का अर्थात हिन्दु मतदाताओं का देश अर्थात आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दू समाज के प
्रति बहुत बड़ा अपराध होगा क्यूंकि फिर लम्हों की खता सदियाँ पाएंगी और हिन्दू फिर से घुट घुट कर जीने को विवश होगा , मजबूर होगा l क्यूंकि पानी अब सिर से ऊपर जा चुका है l आज छत्रपति शिवाजी , महाराणा प्रताप, वीर सावरकर , राणा सांघा , शहीद भगत सिंह आदि नित्य प्रातः नमनियों का स्मरण करना ,उल्लेख करन , जिक्र करना भी संविधान विरोधी और अपराध की श्रेणी में छद्म स्वाधीन भारतवर्ष में अधिकाँश समय तक केन्द्र की सत्ता में सत्तासीन रहने वाली इस सरकार ने ला दिया है l मेरा सभी भारतीय मित्रो से करबध होकर नम्र विनती है, हाथ जोड़कर सादर प्रार्थना है कि एक विदेशी महिला की कठपुतली बनकर रह गई इस कांग्रेस और इसकी सरकार की आर्य सनातन वैदिक धर्मावलंबी हिन्दू समाज , हिंदुत्व , हिन्दी और हिंदुस्तान से सम्बंधित सांस्कृतिक , सामाजिक व राजनीतिक संगठनों , उसके साधु- संतों और हिन्दू समाज के हितार्थ आवाज उठाने वाले लोगों को बदनाम करने के घृणित हित को साधने के उद्देश्य से गहरी बेबुनियाद साजिश रच भारतीयों को गुमराह करने के लिए सबक सिखलाने हेतु आज अभी सभी भारतीयों को शंखनाद करना ही होगा , आवाज बुलंद करनी ही होगी और इन दुष्ट अम्बियो,जयचंदों, शिव राशियो छद्म नामधारी सिंघो , विदेशियों , विदेशी मानसिकता वाले लोगों को सबक सिखाना ही होगा अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब आप अथवा आपके भावी पीढ़ी आपको कोस - कोसकर रोने - कलपने के लिए विवश होंगे और आप स्वर्ग में भी चैन से नहीं रह पाएंगे l
जय माँ भारत जय माता भारती l


Sunday, March 16, 2014

शुभ होलिका दहन

शुभ होलिका दहन 


शुभ होलिका दहन 

अत्यन्त पुरातन काल से नवान्नेष्टि यज्ञ के रूप में सर्वप्रचलित नवसंवत्सर के आगमन और वसंतागमन के उपलक्ष्य में  फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को संपन्न किये जाने वाले यज्ञ के प्रतीकात्मकस्वरुप होलिका दहन के पावन पवित्र शुभ अवसर पर आप सभी भारतीय मित्रों को अनंत अशेष हार्दिक मंगल कामनाएं और होलियाना बधाई l जिस प्रकार भगवान शंकर ने आज के ही दिन अपनी क्रोधाग्नि से कामदेव को नष्ट कर दिया था ,जिस प्रकार नृसिंह रुपी विष्णु ने आततायी हिरण्यकशिपु का बध कर उसकी बहिन होलिका को अग्नि में जलाकर उसकी अत्याचार से लोगों को मुक्ति दिलाई थी , जिस प्रकार राक्षसी ढूंढीका को आम जनता ने आग में भस्म कर उससे , उसके अत्याचार से मुक्ति पाई थी , उसी प्रकार आज फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन कर आप सभी सभी बुराइयों , अत्याचारों और राष्ट्रघातकों से मुक्ति पाने की प्रार्थना करें और प्रण लें कि इन्हें मिटाकर इनका नामोनिशान समाप्त कर ही दम लेंगे  l

शुभ होलिका दहन !
शुभ होली !
होलिका दहन की हार्दिक मंगल कामनाएं !

Saturday, March 15, 2014

भारतवर्ष को महाशक्ति नहीं वरण मुफ्तखोरों का देश बना रही हैं अनुदान आधारित अर्थात खैराती योजना

 भारतवर्ष को महाशक्ति नहीं वरण मुफ्तखोरों का देश बना रही हैं अनुदान आधारित अर्थात खैराती योजना 


छद्म स्वाधीन भारतवर्ष में अधिकाँश समय तक केन्द्र की सत्ता में सत्तासीन रहने वाली खान्ग्रेस सहित उसकी सभी धर्मनिरपेक्ष सहयोगी राज्नोतिक पार्टियां , राज्यों में कुछ हद तक भारतीय जनता पार्टी भी अपनी वोट बैंक बनाने के उद्देश्य से आम जनता को भांति - भांति के अनुदान आधारित योजनाएं अर्थात सब्सिडी वाली खैराती योजनाएं चलाकर लुभाने का प्रयत्न करने में लगी रहती हैं । अगर इसी प्रकार वोट बैंक की लालच में राजनीतिक पार्टियां अनुदान वाली योजनाओं को चलाती रहीं तो इनकी लोक-लुभावन नीतियाँ भारतवर्ष को महा शक्ति नही वरण मुफ्तखोरों का देश बना कर रख देंगी जहाँ  भारतवर्ष का आम आदमी  जानवरों की तरह खायेंगे -पियेंगे, बच्चे पैदा करेंगे और मर जायेंगे । केन्द्र की सरकार को चलाने में और बनाए रखने की लालच में इस्तेमाल की जा रही इस प्रकार की अदूरदर्शितापूर्ण नीतियों से यह देश ऐक बहुत बडा आराजिक गाँव बन कर रह गया है अथवा बन कर रह जायेगा– तो यह है मित्रों  इन विदेशी मानसिकता वाली खान्ग्रेस और उसकी छद्म धर्मनिरपेक्ष सहयोगी पार्टियों की अदूरदर्शी नीति। गत दिनों दिल्ली उपराज्य में उनचास दिनों तक अनुदान वाली योजनाओं के नाम पर  आम आदमी पार्टी के द्वारा कृत कार्य - कलापों से मचे आतंक , अव्यवस्था और उद्धम और उपजी अराजकता से इस सत्य का आभाष हो जाता है कि आनुदान आधारित खैराती योजनाएं देश में क्या अराजक स्थिति उत्पन्न कर रही हैं अथवा कर सकती है ?

यह एक सर्वविदित तथ्य है कि सिर्फ खाना - पीना और सुरक्षा के साथ आराम करना, बच्चे पैदा करना और मर जाना तो जानवर भी करते हैं परन्तु उन का कोई देश या इतिहास नहीं होता। उसी प्रकार जो मनुष्य शारीरिक आवशयक्ताओं की पूर्ति में ही अपना जीवन गंवा देते हैं। उन के और पशुओं के जीवन में कोई विशेष अन्तर नहीं रहता।छद्म स्वाधीन भारतवर्ष में प्रजातांत्रिक प्रणाली आधारित राज्य व्यवस्था कायम है यहाँ सभी नागरिकों के मत समान माने जाते हैं अर्थात सभी देशवासियों के मत एकसमान महत्व के हैं । इसका अर्थ है कि देश के राष्ट्रपति के मत (वोट) का जो महत्व है , वही महत्व राष्ट्रपति के घर में चौका - बासन करने वाली या फिर झाड़ू करने वाली के मत का भी है ( माना जाता है )  । यह सभी जानते हैं कि कोई भी देश केवल आम आदमियों के बल पर महा शक्ति नहीं बन सकता , उसके लिए आम आदमियों के बीच भी खास आदमियों, विशिष्ठ प्रतिभाओं वाले नेताओं की आवश्यकता होती है। 

 सता की लालच में फंसी खान्ग्रेस , उसकी छद्म धर्मनिरपेक्ष सहयोगी पार्टियाँ तथा आम आदमी पार्टी के नेता यह नहीं जानते कि हमारे पूर्वजों ने मुफ्त खोरी के साथ जीने की प्रवृति को स्पष्टतः मना किया है , इनकार किया है , नकारा है और पुरुषार्थ के साथ ही कुछ पाने पर बल दिया है। पुरातन भारतीय ग्रंथों में श्रम की अनिवार्यता पर बल दिया गया है और समाज अर्थात मनुष्य के सभी चारों ही आश्रमों में श्रम करने की नितांत आवश्यकता व महता पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है । सहस्त्राब्दियों वर्ष पूर्व जब पश्चिम के अमेरिका तथा यूरोप आदि विकसित देशों में जब मानव का नामोनिशान भी कहीं नहीं था तब संसार के सर्वप्रथम कानून (विधान) के ग्रन्थ अर्थात संहिता - मनुसंहिता  के रचनाकार  ऋषि मनु ने अपने विधान मनु स्मृति 7- 137-138   मे कहा है -

  यत्किंचिदपि वर्षस्य दापयेत्करसंज्ञितम्।
व्यवहारेण जीवंन्तं राजा राष्ट्रे पृथग्जनम्।।
कारुकाञ्छिल्पिनश्चैव शूद्रांश्चात्मोपजीविनः।
एकैकं कारयेत्कर्म मसि मसि महीपतिः ।। - मनु स्मृति 7- 137-138

अर्थात -राजा (सभी तरह के प्रशासक) अपने राज्य में छोटे व्यापार से जीने वाले व्यपारियों से भी कुछ न कुछ वार्षिक कर लिया करे। कारीगरी का काम कर के जीने वाले, लोहार, बेलदार, और बोझा ढोने वाले मज़दूरों से कर स्वरुप महीने में एक दिन का काम ले।

नोच्छिन्द्यात्मनो मूलं परेषां चातितृष्णाया।
उच्छिन्दव्ह्यात्मनो मूलमात्मानं तांश्च पीडयेत्।।
तीक्ष्णश्चैव मृदुश्च स्यात्कार्यं वीक्ष्य महीपतिः।
तीक्ष्णश्चैव मृदुश्चैव राजा भवति सम्मतः ।। - मनु स्मृति 7- 139-140

अर्थात - (प्रशासन) कर न ले कर अपने मूल का उच्छेद न करे और अधिक लोभ वश प्रजा का मूलोच्छेदन भी न करे क्यों कि मूलोच्छेद से अपने को और प्रजा को पीड़ा होती है। कार्य को देख कर कोमल और कठोर होना चाहिये। समयानुसार राजा( प्रशासन) का कोमल और कठोर होना सभी को अच्छा लगता है।

अत्यन्त प्राचीन काल में लिखे गये मनुसमृति के ये श्र्लोक आज भी अत्यन्त ही प्रासंगिक हैं और आजकल के उन नेताओं के लिये भी अत्यन्त महत्वपूर्ण व महत्वशाली हैं जो चुनावों से पहले खास मजहब के लिए शिक्षण व चिकित्सीय संसथान , हज सब्सिडी , लेप-टाप, मुफ्त बिजली-पानी, और तरह तरह के लोक लुभावन वादे करते हैं और स्वार्थवश बिना सोचे समझे देश के बजट का संतुलन बिगाड देते हैं। अगर उन्हें जनता की बुनियादी जरुरियातों , आवश्याकताओं का अहसास है तो सत्ता समभालने के समय से ही जरूरी वस्तुओं का उत्पादन बढायें, वितरण प्रणाली सें सुधार करें, उन वस्तुओं पर सरकारी टैक्स कम करें नाकि उन वस्तुओं को फोकट में बाँट कर, जनता को रिशवत के बहाने अपने लिये वोट संचय करना शुरु कर दें। अगर लोगों को सभी कुछ मुफ्त पाने की लत पड जायेगी तो फिर काम करने और कर देने के लिये कोई भी व्यक्ति तैयार नहीं होगा।
सिवाय भारत के आजकल पानी और बिजली जैसी सुविधायें संसार मे कहीं भी मुफ्त नहीं मिलतीं। उन्हें पैदा करने, संचित करने और फिर दूरदराज तक पहुँचाने में, उन का लेखा जोखा रखने में काफी खर्चा होता है। अगर सभी सुविधायें मुफ्त में देनी शुरू हो जायें गी तो ऐक तरफ तो उन की खपत बढ जाये गी और दूसरी तरफ सरकार पर बोझ निरंकुशता के साथ बढने लगेगा। क्या जरूरी नहीं कि इस विषय पर विचार किया जाये और सरकारी तंत्र की इस सार्वजनिक लूट पर अंकुश लगाया जाये। अगर ऐसा नहीं किया गया तो फोकट मार लोग देश को दीमक की तरह खोखला करते रहैं गे और ऐक दिन चाट जायेंगे।
आरक्षण और सबसिडी आदि दे कर अर्थात खैरात बांटकर चुनाव तो जीता जा सकता है, परन्तु वह समस्या का समाधान नहीं है। इस प्रकार की बातें समस्याओं को और जटिल कर देंगी। इमानदार और मेहनत से धन कमाने वालों को ही इस तरह का बोझा उठाना पडेगा जो कभी कम नहीं होगा और बढता ही जायेगा।

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