अत्याचारी इस्लामी आतकवादियों की बर्बरता और राक्षसपन से सम्पूर्ण विश्व कर रहा त्राहि - त्राहि
भारतवर्ष विभाजन के पूर्व और पश्चात भी हमारे देश और जाति पर वह अत्याचार होते रहे हैं जिनके आगे सभ्यता और शिष्टाचार का कोई मूल्य नहीं रह गया है , मेरा तात्पर्य अत्याचारी इस्लामी आतकवादियों की बर्बरता और राक्षसपन से है । देश के जम्मू - कश्मीर , पश्चिम बंगाल , आसाम आदि सीमान्त प्रदेश सहित सम्पूर्ण भारतवर्ष में सहस्रों ग्राम और नगर खंडहर हो गये, लाखों लोगों का नाश हुआ, अगणित अबलाओं का सतीत्व लूटा गया, हरी-भरी खेतियां जलाकर राख कर दी गईं । यह ठीक है कि इन बर्बरों के गोली - बारूद की आग और भाले की नोंक अभीब देश के कई राज्य व गांव तक नहीं पहुंची, परन्तु उनके अमानुषिक अत्याचार की कहानियां आज समूचे देश और सम्पूर्ण विश्व के कानों में गूंज रहीं हैं । कोई कारण नहीं कि वह आप तक न पहुंची हो । हमारे साधु-सन्यासी और भिक्षु यही उपदेश देते हैं कि किसी प्राणी को दुःख मत दो, किसी छोटे से छोटे जीव को मत सताओ । उनके इस कथन के प्रति किसी को इन्कार नहीं, परन्तु संसार में प्रतिदिन होने वाली आतंकवादी घटनाओं को देखकर हमें बड़े दुःख से कहना पड़ता है कि सांसारिक व्यवहार और राजनीति में बुरे लोगों के साथ सच्चाई करने में हमेशा धोखा खाना पड़ता है । आप लोग मुस्लिमों को ही देखें, क्या आप में से कोई बता सकता है कि भारतवर्ष अर्थात हिन्दुस्तान और बहुसंख्यक भारतीयों अर्थात आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दुओं ने इनका क्या बिगाड़ा था, इन पर किसी प्रकार का आक्रमण किया था अथवा इनको किसी अधिकार से वंचित रखा था, जिस कारण इन निर्दयी अत्याचारियों ने अहिंसा और शान्ति के पुजारी भारतीयों का मुग़ल काल के पूर्व से ही नरमेध आरम्भ कर दिया, मनमानी लूट-खसोट शुरू कर दी । विभाजन के पूर्व से लेकर आज तक सैंकड़ों गांवों, हजारों एकड़ लहलहाती खेती को भस्मसात् कर दिया । ७११ ई० में उनके आरंभिक आक्रमणों के समय से ही सब स्थानों पर भारतीयों ने अपने शिष्टाचार और अहिंसा की ढ़ाल से इन को रोकना चाहा परन्तु प्रत्येक स्थान पर बर्बरता तथा बरछों की मार से यह दीवार टूटकर खंड-खंड हो गई । खम्भों से बंधे पिता-पुत्रों ने अपनी आंखों से बहिन और बेटियों पर राक्षसी बलात्कार होते देखा, उसी प्रकार पुजारी और भक्तों के सन्मुख उनके प्रिय देवताओं की मूर्तियों को खंडित किया गया, गगनचुम्बी मन्दिरों के तोरणों को धूल में मिला दिया गया । उनकी यह करतूत सारे संसार में आज भी अनवरत रूप से जारी है और सम्पूर्ण विश्व इस्लामी आतंकवाद से त्राहि - त्राहि कर रहा है , परन्तु इससे निजात का कोई साधन विश्व की सरकारों के पास दिखाई नहीं देता l
भारतवर्ष विभाजन के पूर्व और पश्चात भी हमारे देश और जाति पर वह अत्याचार होते रहे हैं जिनके आगे सभ्यता और शिष्टाचार का कोई मूल्य नहीं रह गया है , मेरा तात्पर्य अत्याचारी इस्लामी आतकवादियों की बर्बरता और राक्षसपन से है । देश के जम्मू - कश्मीर , पश्चिम बंगाल , आसाम आदि सीमान्त प्रदेश सहित सम्पूर्ण भारतवर्ष में सहस्रों ग्राम और नगर खंडहर हो गये, लाखों लोगों का नाश हुआ, अगणित अबलाओं का सतीत्व लूटा गया, हरी-भरी खेतियां जलाकर राख कर दी गईं । यह ठीक है कि इन बर्बरों के गोली - बारूद की आग और भाले की नोंक अभीब देश के कई राज्य व गांव तक नहीं पहुंची, परन्तु उनके अमानुषिक अत्याचार की कहानियां आज समूचे देश और सम्पूर्ण विश्व के कानों में गूंज रहीं हैं । कोई कारण नहीं कि वह आप तक न पहुंची हो । हमारे साधु-सन्यासी और भिक्षु यही उपदेश देते हैं कि किसी प्राणी को दुःख मत दो, किसी छोटे से छोटे जीव को मत सताओ । उनके इस कथन के प्रति किसी को इन्कार नहीं, परन्तु संसार में प्रतिदिन होने वाली आतंकवादी घटनाओं को देखकर हमें बड़े दुःख से कहना पड़ता है कि सांसारिक व्यवहार और राजनीति में बुरे लोगों के साथ सच्चाई करने में हमेशा धोखा खाना पड़ता है । आप लोग मुस्लिमों को ही देखें, क्या आप में से कोई बता सकता है कि भारतवर्ष अर्थात हिन्दुस्तान और बहुसंख्यक भारतीयों अर्थात आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दुओं ने इनका क्या बिगाड़ा था, इन पर किसी प्रकार का आक्रमण किया था अथवा इनको किसी अधिकार से वंचित रखा था, जिस कारण इन निर्दयी अत्याचारियों ने अहिंसा और शान्ति के पुजारी भारतीयों का मुग़ल काल के पूर्व से ही नरमेध आरम्भ कर दिया, मनमानी लूट-खसोट शुरू कर दी । विभाजन के पूर्व से लेकर आज तक सैंकड़ों गांवों, हजारों एकड़ लहलहाती खेती को भस्मसात् कर दिया । ७११ ई० में उनके आरंभिक आक्रमणों के समय से ही सब स्थानों पर भारतीयों ने अपने शिष्टाचार और अहिंसा की ढ़ाल से इन को रोकना चाहा परन्तु प्रत्येक स्थान पर बर्बरता तथा बरछों की मार से यह दीवार टूटकर खंड-खंड हो गई । खम्भों से बंधे पिता-पुत्रों ने अपनी आंखों से बहिन और बेटियों पर राक्षसी बलात्कार होते देखा, उसी प्रकार पुजारी और भक्तों के सन्मुख उनके प्रिय देवताओं की मूर्तियों को खंडित किया गया, गगनचुम्बी मन्दिरों के तोरणों को धूल में मिला दिया गया । उनकी यह करतूत सारे संसार में आज भी अनवरत रूप से जारी है और सम्पूर्ण विश्व इस्लामी आतंकवाद से त्राहि - त्राहि कर रहा है , परन्तु इससे निजात का कोई साधन विश्व की सरकारों के पास दिखाई नहीं देता l