भारतवर्ष के विभाजन की जनक खान्ग्रेस अर्थात कांग्रेस पार्टी विरोधी भी अपनी पसंद की अपने आप ही चुन रही है
अशोक "प्रवृद्ध"
"अहंकार की चरम सीमा होती है जब कोई व्यक्ति या संस्था या फिर पार्टी अपना विरोधी भी अपनी पसंद के ही बनाना चाहता हो , चुनना चाहता हो " , जैसे कि भारतवर्ष के विभाजन की जनक खान्ग्रेस अर्थात कांग्रेस पार्टी विरोधी भी अपनी पसंद की अपने आप ही चुन रही है l भ्रष्टाचार की सत्ता की मलाई चाटने वाले कांग्रेसी और उसके सहयोगी इस डर में जी रहे है कि कहीं उनके सत्ता में से किसी कारण से नहीं आ पाने अर्थात हटने पर उनको सच में कोई फांसी पर ही न लटका दे, इसलिए पहले से ही इंतजाम कर लिया कि कम से कम सजा से तो बचा जाये l
मित्रो ! खान्ग्रेस की सोच है कि यदि विरोधी भी कोई गाँधीवादी ब्रांड होगा तो फिर वह माफ़ करने में भी अपनी "गाँधीवादी नीति" दिखाएगा l जिस नीति के तहत अंग्रेजो ने अपने विरोधी के रूप में शहीद भगत सिंह , नेताजी सुभाष चन्द्र बोस , चंद्रशेखर आजाद , वीर सावरकर जी के स्थान पर अपनी ही पसंद के "महात्मा ढोंगी गाँधी" और "चरित्रहीन जवाहर लाल नेहरू" को विरोधी चुना था l और उन्ही को भारत देश की तथाकथित स्वाधीनता दिलाने के ढोल पीटे गए थे. एक बार जरा सोचिए कि ऊपर बताये नामो में से यदि किसी राष्ट्रवादी और भारत माता प्रेमी को देश की स्वाधीनता दिलाने का सेहरा बंध जाता तो क्या आज देश की यह हालत होती ? नहीं , कदापि नहीं l मित्रो ! अंग्रेजो ने भी सुविधा के हिसाब से अपना विरोधी चुना और उसी के बल पर आज तक "परदे के पीछे से" भारतवर्ष पर अपना कब्ज़ा जमाये हुए है l देश को गाँधी आतंकवाद और खांग्रेस गेंग की वजह से न तो सच्ची स्वाधीनता मिली और न ही देशवासियों के मन और मस्तिष्क से हजारों वर्षों की परतंत्रता से उपजी हीनता का ही बोध हट पाया l इसी प्रकार से आप अन्ना हजारे और उसके भ्रष्टाचार के विरूद्ध दिखावे की लड़ाई से उपजे रणछोड़दास खाँसड़ उर्फ अरविन्द केजरीवाल की आम अराजकता पार्टी अर्थात आम आदमी पार्टी नामक मुखोटा देख ले l मित्रो ! हर आदमी में कहीं न कहीं "बड़ा और प्रसिद बनाने की इच्छा रह ही जाती है" और अन्ना हजारे तथा उनके अप्रत्यक्ष चेले रणछोड़दास खाँसड़ इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध क्रांति की धार को कुंद कर रहे है और छद्म स्वाधीन भारतवर्ष में अनाचार , व्यभिचार और भ्रष्टाचार तथा भारत माँ के विभाजन की जनक खान्ग्रेस को एक तरह से राहत ही पहुंचा रहे है l मित्रो इसका भी कारण है उनके तथाकथित चेले मीडिया की रचना (क्रियेशन) रणछोड़दास खाँसड़ उर्फ अरविन्द केजरीवाल जी , जो कि इस देशद्रोही , राष्ट्र्घातक कुकृत्य को क्रांति का नाम दे रहे है परन्तु उन्हें यह नहीं मालूम अथवा जान -बूझकर क्रांति के नाम पर टाट के पैबन्द लगा रहे है l
मित्रों ! कहीं और कोई राष्ट्रवादी संस्था देश में फैले भ्रष्टाचार के बहाने इस फसल को न काटले इसलिए खान्ग्रेस ने अपना इंतजाम कर दिया है l खान्ग्रेस ने सदैव ही अपने विरोधियों की विभिन्न मनगढंत मामलों में फंसाकर नीवें हिला कर रख दी हैं ऐसे में अन्ना हजारे और उसके चेले केजरीवाल और अन्य सहयोगियों की किसी भी मामले में नाम ण आना , उनके बैंक खतों अर्थात अकाउंट की जांच की बात किसी भी खांग्रेसी के द्वारा अभी तक नहीं सुना जाना खान्ग्रेस की इस साजिश के मूर्तरूप होने के संदेह को ही पुष्टि क्या करता है l उल्टे खान्ग्रेस के द्वारा कुछ इस प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है , कुछ ऐसा प्रचार किया जा रहा है कि अन्ना हजारे ब्रांड के आम अराजकता पार्टी की उनचास दिनी रणछोड़दास खाँसड़ उर्फ केजरीवाल की खुजली सरकार को संघ का घोषित कर दिया मतलब चोर की दाड़ी में तिनका , और उस पर तुर्रा अर्थात बड़ा कमाल यह है कि जो भ्रष्टाचार की अखंड प्रतिमा "दस जनपथ" में विराजित है उसको मीडिया में ऐसा निरुपित किया जा रहा है जैसे कि के लिए उसके प्राण पखेरू हो रहे हैं l हाल के दिनों में ही मीडिया ने देश में क्रांति का ऐसा वातावरण तैयार कर दिया कि बस इस आम अराजकता पार्टी के सत्ता में आने के बाद देश में से भ्रष्टाचार ऐसे गायब हो जायेगा जैसे की गधे के सर से सींग l मित्रों ! अन्ना हजारे ब्रांड के आम अराजकता पार्टी की उनचास दिनी रणछोड़दास खाँसड़ उर्फ केजरीवाल की खुजली सरकार ने यह साबित कर दिया कि राज्य अर्थात सरकार चलाना उसके वश की बात नहीं भले ही वह कुछ दिनों तक भारतीय जनता को बरगलाकर बेवकूफ बना ले l
अशोक "प्रवृद्ध"
"अहंकार की चरम सीमा होती है जब कोई व्यक्ति या संस्था या फिर पार्टी अपना विरोधी भी अपनी पसंद के ही बनाना चाहता हो , चुनना चाहता हो " , जैसे कि भारतवर्ष के विभाजन की जनक खान्ग्रेस अर्थात कांग्रेस पार्टी विरोधी भी अपनी पसंद की अपने आप ही चुन रही है l भ्रष्टाचार की सत्ता की मलाई चाटने वाले कांग्रेसी और उसके सहयोगी इस डर में जी रहे है कि कहीं उनके सत्ता में से किसी कारण से नहीं आ पाने अर्थात हटने पर उनको सच में कोई फांसी पर ही न लटका दे, इसलिए पहले से ही इंतजाम कर लिया कि कम से कम सजा से तो बचा जाये l
मित्रो ! खान्ग्रेस की सोच है कि यदि विरोधी भी कोई गाँधीवादी ब्रांड होगा तो फिर वह माफ़ करने में भी अपनी "गाँधीवादी नीति" दिखाएगा l जिस नीति के तहत अंग्रेजो ने अपने विरोधी के रूप में शहीद भगत सिंह , नेताजी सुभाष चन्द्र बोस , चंद्रशेखर आजाद , वीर सावरकर जी के स्थान पर अपनी ही पसंद के "महात्मा ढोंगी गाँधी" और "चरित्रहीन जवाहर लाल नेहरू" को विरोधी चुना था l और उन्ही को भारत देश की तथाकथित स्वाधीनता दिलाने के ढोल पीटे गए थे. एक बार जरा सोचिए कि ऊपर बताये नामो में से यदि किसी राष्ट्रवादी और भारत माता प्रेमी को देश की स्वाधीनता दिलाने का सेहरा बंध जाता तो क्या आज देश की यह हालत होती ? नहीं , कदापि नहीं l मित्रो ! अंग्रेजो ने भी सुविधा के हिसाब से अपना विरोधी चुना और उसी के बल पर आज तक "परदे के पीछे से" भारतवर्ष पर अपना कब्ज़ा जमाये हुए है l देश को गाँधी आतंकवाद और खांग्रेस गेंग की वजह से न तो सच्ची स्वाधीनता मिली और न ही देशवासियों के मन और मस्तिष्क से हजारों वर्षों की परतंत्रता से उपजी हीनता का ही बोध हट पाया l इसी प्रकार से आप अन्ना हजारे और उसके भ्रष्टाचार के विरूद्ध दिखावे की लड़ाई से उपजे रणछोड़दास खाँसड़ उर्फ अरविन्द केजरीवाल की आम अराजकता पार्टी अर्थात आम आदमी पार्टी नामक मुखोटा देख ले l मित्रो ! हर आदमी में कहीं न कहीं "बड़ा और प्रसिद बनाने की इच्छा रह ही जाती है" और अन्ना हजारे तथा उनके अप्रत्यक्ष चेले रणछोड़दास खाँसड़ इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध क्रांति की धार को कुंद कर रहे है और छद्म स्वाधीन भारतवर्ष में अनाचार , व्यभिचार और भ्रष्टाचार तथा भारत माँ के विभाजन की जनक खान्ग्रेस को एक तरह से राहत ही पहुंचा रहे है l मित्रो इसका भी कारण है उनके तथाकथित चेले मीडिया की रचना (क्रियेशन) रणछोड़दास खाँसड़ उर्फ अरविन्द केजरीवाल जी , जो कि इस देशद्रोही , राष्ट्र्घातक कुकृत्य को क्रांति का नाम दे रहे है परन्तु उन्हें यह नहीं मालूम अथवा जान -बूझकर क्रांति के नाम पर टाट के पैबन्द लगा रहे है l
मित्रों ! कहीं और कोई राष्ट्रवादी संस्था देश में फैले भ्रष्टाचार के बहाने इस फसल को न काटले इसलिए खान्ग्रेस ने अपना इंतजाम कर दिया है l खान्ग्रेस ने सदैव ही अपने विरोधियों की विभिन्न मनगढंत मामलों में फंसाकर नीवें हिला कर रख दी हैं ऐसे में अन्ना हजारे और उसके चेले केजरीवाल और अन्य सहयोगियों की किसी भी मामले में नाम ण आना , उनके बैंक खतों अर्थात अकाउंट की जांच की बात किसी भी खांग्रेसी के द्वारा अभी तक नहीं सुना जाना खान्ग्रेस की इस साजिश के मूर्तरूप होने के संदेह को ही पुष्टि क्या करता है l उल्टे खान्ग्रेस के द्वारा कुछ इस प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है , कुछ ऐसा प्रचार किया जा रहा है कि अन्ना हजारे ब्रांड के आम अराजकता पार्टी की उनचास दिनी रणछोड़दास खाँसड़ उर्फ केजरीवाल की खुजली सरकार को संघ का घोषित कर दिया मतलब चोर की दाड़ी में तिनका , और उस पर तुर्रा अर्थात बड़ा कमाल यह है कि जो भ्रष्टाचार की अखंड प्रतिमा "दस जनपथ" में विराजित है उसको मीडिया में ऐसा निरुपित किया जा रहा है जैसे कि के लिए उसके प्राण पखेरू हो रहे हैं l हाल के दिनों में ही मीडिया ने देश में क्रांति का ऐसा वातावरण तैयार कर दिया कि बस इस आम अराजकता पार्टी के सत्ता में आने के बाद देश में से भ्रष्टाचार ऐसे गायब हो जायेगा जैसे की गधे के सर से सींग l मित्रों ! अन्ना हजारे ब्रांड के आम अराजकता पार्टी की उनचास दिनी रणछोड़दास खाँसड़ उर्फ केजरीवाल की खुजली सरकार ने यह साबित कर दिया कि राज्य अर्थात सरकार चलाना उसके वश की बात नहीं भले ही वह कुछ दिनों तक भारतीय जनता को बरगलाकर बेवकूफ बना ले l