Friday, May 31, 2013

ॐ ॐ नमस्ते

ओउम् नमस्ते ।
नमः और् 'ते की सन्धि से सुन्दर शब्दबन जाए 'नमस्ते' सप्रेम हार्दिक "आदर" यूँ "आपके लिए" दर्शाए "नमस्ते" | श्रद्धा से दोनो हाथ जोड़, जब किया जाता "नमस्ते" उच्चारण, अत्यन्त शोभनीय लगता यह प्राचीनतम संस्कृति द्योतक अभिनन्दन || दोनों हाथ जोड़कर जब हृदय के समीप हैं लाते, और श्रद्धा से थोड़ा शीश झुका वाणी उच्चारे "नमस्ते" | ऐसे नम्र अभिवादन से होता स्वाभाविक ही प्रेम सत्कार प्रवाह, और "नमस्ते" अभिवादन द्वारा परस्पर होती प्रसन्नता अथाह || हृदय समीप दोनो जुड़े हाथ माने जाते हैं आत्म शक्ति के प्रतीक, भुजाएं दोनो शारीरिक बल द्योतक भरती हैं रक्षा भाव असीम | मानसिक शक्ति द्योतक मस्तिष्क पूर्णआदर को यहाँ दर्शाएं, इन सभी दैवी शक्तियों के संगम से ही अभिवादन "नमस्ते" कहाए || गुड मार्निंग, ईवनिंग, अथवा नाइट तो केवल समय बोध काराते, हस्त-गले मिलन अथवा चुम्बन छूत रोग का भय दर्शाते | दूर से हाई-बाई तो निरादर एवं तिरस्कार का संकेत दिखाते | सभी दोषों से मुक्त, हर समय उपयुक्त, अभिवादन है केवल "नमस्ते" || छोड़ो यह हाई-बाई, गले मिलना, चुम्बन व हाथ मिलाना, अपनाओ सर्वोत्तम "नमस्ते" जो चला आ रहा सनातन अभिनन्दन पुराना, आदर, सत्कार, श्रद्धा, प्रेम, सभी सार्थक होते जब "नमस्ते" से हो अभिनन्दन, केवल "नमस्ते" अभिवादन में ही समाविष्ट इन सभी गुणों के होते हैं दर्शन || माता-पिता, पति-पत्नि, छोटे-बड़े अथवा हों बहन-भाई, सेवक-स्वामी, धनी-निर्धन, मित्र, बन्धु अथवा सखा-सहाई | सभी देश-विदेश, जाति धर्म के लोग मिलें अथवा जब करें पत्राचार, "नमस्ते" से किया अभिवादन सबके लिए सदा "फिट" बैठै सभी प्रकार ||

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