नागरिकता संशोधन बिल का विरोध
-अशोक "प्रवृद्ध"
प्रजातन्त्र का सार है, उद्देश्य है विचार स्वतन्त्रता और प्रजातन्त्र शासन का अर्थ जो मैं
समझा हूँ, वह है जनता की सम्मति से शासन चलना
और भारतीय जनता की सम्मति से भारत में शासन चल रहा है। हाँ, यह अलग बात है कि यह विपक्षियों, विधर्मियों की पसंद की नहीं वरन प्रचंड बहुमत से चुनी गई देश के
बहुसंख्यकों की पसंद भाजपा की सरकार के माध्यम से चल रही है, जिसके कर्ता- धर्ता प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी माने जाते हैं, जिनके शत्रु सम्पूर्ण विपक्ष और और विदेशी , विधर्मी तत्व हैं। प्रजा की सम्मति तो विचार स्वतन्त्रता का एक अंग ही है, लेकिन जब किसी प्रकार से बल-छल अथवा प्रलोभनों से प्रजा की सम्मति
अपने अनुकूल की जाये तो वह प्रजा की स्वतन्त्र सम्मति नहीं होती और जहां यह नित्य
होता हो, वह प्रजातन्त्र नहीं कहा जा सकता।
भारत में नागरिकता संशोधन बिल अर्थात
सिटीजन एमेंडमेंट बिल (CAA), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एन आर
सी) के सम्बन्ध में कांग्रेस व अन्य छद्म धर्म निरपेक्ष विपक्षी पार्टियों के
द्वारा विरोध जताने हेतु समर्थन जुटाने के लिए बल, छल और प्रलोभन, तीनों का प्रयोग
किया जा रहा है। वे धमकियां देना भी
क्षम्य मानते हैं।
क्या धमकियां देते हैं?
पहले तो जनता के मन में यह भ्रम
निर्माण किया है कि वह ही एकमात्र नेता हैं जो देश में ऐक्य रखने की सामर्थ्य रखते
हैं। इस भ्रम के आश्रय जब भी वह किसी को अपने विचार के विपरीत कार्य करते देखते
हैं, वह अपने पद की गरिमा को भूल मरने -
मारने की बात तक करने लगते हैं, देश को अशांत कर
देने, यहाँ तक कि देश को तोड़ देने तक की
बात करने लगते हैं। अज्ञानी जनता डर जाती है और भले, बुद्धिमान और ईमानदार लोग जो देश की सर्वोच्च संस्थानों के कर्ता
-धर्ताओं से सैकड़ों गुणा अधिक योग्य और बुद्धिमान हैं, वे मौन हो जाते हैं और देश के सब गुण्डे, शोहदे, अवसरवादी और पद-लोलुप इन विपक्षी
नेताओं की मूर्खता का समर्थन करने लग जाते हैं।
यही सब तानाशाह करते हैं। तानाशाही
का सार है जनता में भ्रम उत्पन्न कर देना कि उसके बिना देश टूक-टूक हो जायेगा, देश में बेईमान, देशद्रोही और
लोभी-लालची भरे हुए हैं और यदि उस तानाशाह को परेशान किया गया तो देश में विप्लव
खड़ा हो जायेगा। यही, बिना अपवाद के सब तानाशाही देशों
में किया जा रहा है और यही भारत में हो रहा है।
और हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में
क्या हो रहा है ?
वहां भी यही कुछ हो रहा है। वहां
इस्लाम खतरे में है, का भूत खड़ा किया जाता रहा है। यह
उन लोगों द्वारा किया जा रहा है जो कभी नमाज भी नहीं पढ़ते और जिन्होंने कभी
परमात्मा अथवा हजरत मुहम्मह को स्मरण भी नहीं किया। यही आज भारत में विपक्षी नेता
और विपक्षियों से शासित राज्य कर रहा है। देश-भक्ति, गरीबों की परवरिश, हिन्दू-मुस्लिम
ऐक्य इत्यादि नारे लगाकर लोगों में यह भ्रम उत्पन्न कर दिया है कि बिना कांग्रेस
की राजपरिवार के इस समय देश में एक भी व्यक्ति नहीं जो ऐसा कर सके और जब कोई भला
मनुष्य यह बताने का यत्न करता है कि नेहरू- गांधी परिवार और अनेक विपक्षी राजनेता
न तो देशभक्त है और न वह शांतिपूर्वक चलने वाली देश के बहुसंख्यकों की पसंद की
सत्ता देश में चाहता है, न ही हिन्दू-मुसलमान ऐक्य में सहायक
है, कारण यह कि दोनों समुदायों में
एकमयता होने में वह बाधक है। मुसलमान की पृथकता बनाये रखने का वह समर्थन करता है
जो मुसलमानों की अनन्त काल तक पृथकता के वकील हैं।
और फिर अपने विरोधियों की हत्या
करने में यह सदा यत्नशील रहा है। इसने गांधी जी की हत्या करायी थी, इसने ही कई अन्य राष्ट्रवादी राजनीतिज्ञों की हत्या कराई है अथवा
हत्या के लिए षडयंत्र रची थी।आज भी यह कुचक्र चल रहा है, जो गाहे- बगाहे प्रधानमन्त्री की हत्या तक कर
देने की धमकी आते रहने से बिल्कुल सत्य प्रदर्शित होती रहती है। देश के
बहुसंख्यकों सावधान !!!
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