Thursday, March 20, 2014

वन्दे भारतमातरम् !!!

वन्दे भारतमातरम् !!!



वन्दे भारतमातरम् !!!

हम भारतवासी माँ की भान्ति ही पृथ्वी , नदी , कई जीव- जन्तु और यहाँ तक की अपने देश , अपनी राष्ट्र को माता के सामान पूजनीय मान नित्यप्रति नमन करते हैं , वन्दन

रत्नाकराधौतपदां हिमालायकिरीटिनीम !
ब्रह्मराजर्षिरत्नाढयां वन्दे भारतमातरम् !!!

अर्थात -रत्नों की खान समुद्र जिसके पैर धोता है, हिमालय जिसका मुकुट है, ब्रह्मर्षियों और राजर्षियों रुपी रत्नों से समृद्ध ऐसी भारतमाता की मैं वंदना करता हूँ !!!

No comments:

Post a Comment

सरल बाल सत्यार्थ प्रकाश

  सरल सत्यार्थ प्रकाश ओ३म् सरल बाल सत्यार्थ प्रकाश (कथा की शैली में सत्यार्थ प्रकाश का सरल बालोपयोगी संस्करण) प्रणेता (स्वर्गीय) वेद प्रकाश ...