Monday, July 14, 2014

जल के प्रयोग से सम्बंधित वैदिक सुझाव

जल के प्रयोग से सम्बंधित वैदिक सुझाव 


हमारे देश भारतवर्ष में इस वर्ष मानसून अर्थात खरीफ काल में सामान्य से कम वर्षा हुई जिसके कारण देश के (अधिकांशतः मानसून की वर्षा पर आश्रित खरीफ फसल ) खरीफ फसलों की उपज पर विपरीत असर पड़ने की संभावना प्रबल हो गई है ! ऐसे में देश का बहुसंख्यक कृषक वर्ग अभी से ही चिंतित नजर आ रहा है ! इस प्रकार की विपरीत परिस्थिति से बचने के लिए वेदों में अनेक सुझाव सुझाये गए हैं ! अथर्ववेद के ऐसे ही दो श्लोक -

शं त आपो हैमवती: शमु ते सन्तूत्स्या: ।
शं ते सनिष्पदा आप: शमु ते सन्तु वर्ष्या:।। "
अथर्ववेद,  एकोनविंश काण्डम् - १ 

अर्थात - मनुष्य को चाहिए कि वह वर्षा , कुऑ ,नदी और सागर के जल को , अपने खान-पान , खेती और शिल्प- कला आदि के लिए उपयोग करे एवम् अपने जीवन को सम्पूर्ण बनाए और चारों पुरुषार्थों को प्राप्त करे ।

और देखिये -

"अनभ्रय: खनमाना विप्रा गम्भीरे अंपस: ।"
भिषग्भ्यो भिषक्तरा आपो अच्छा वदामसि ।।"
अथर्ववेद , एकोनविंश काण्डम् - 3 

अर्थात - विद्वान् ,जिज्ञासु , वैद आदि तपस्वी साधक , अनेक तरह के रोगों में , जल के प्रयोग के द्वारा , जल के अनन्त गुणों की आपस में व्याख्या करें और समाज के हित में उसका भरपूर उपयोग करें ।

No comments:

Post a Comment

सरल बाल सत्यार्थ प्रकाश

  सरल सत्यार्थ प्रकाश ओ३म् सरल बाल सत्यार्थ प्रकाश (कथा की शैली में सत्यार्थ प्रकाश का सरल बालोपयोगी संस्करण) प्रणेता (स्वर्गीय) वेद प्रकाश ...