श्रीकृष्ण को नग्न देखने की परम्परा हिंदुओं ने ईसाई व मुस्लिमों से सीखा
यह हज़रत आदम है कौन जिन्होंने अल्लाह का आदेश नहीं माना ? दुनिया में जितने भी मत, पंथ, और मजहबी किताब है, उनमे बाईबिल, और कुरान में ही मिलता है इन आदम का किस्सा, जिसे अल्लाह ने बड़े अरमान से बनाया | बाईबिल में बताया की गॉड ने आदम को अपनी शकल सूरत वाला बनाया, पहला प्रमाण यही मिलगया की अगर गॉड का शकल सूरत है, जो अपना जैसा आदम को बनाया, तो वह गॉड शरीरधारी ही है | गॉड ने आदम को मिटटी से रचा, और उसके नथनों में जीवन का श्वास फुका और आदम जीवित प्राणी बन गया तब यहोवा परमेश्वर ने पूर्व की ओर अदन में एक वाटिका लगाई, और उसमे आदम को जिसे उसने बनाया उसे रखा | और यहोवा परमेश्वर ने सब प्रकार के वृक्ष जो देखने में मनोहर और खाने के लिए अच्छे थे, भूमि से उगाए, और वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को तथा भले बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया |
* दुनिया वालो यह याद जरुर रखना की, बाईबिल में ज्ञान बृक्ष में लगते है जो फल नुमा है| वाटिका को सीचने के लिए अदन में एक नदी बहती थी जो आगे बहकर चार नदियों में विभाजित हो जाती थी | पहली का नाम पीशोन है यह ह्वीला नाम के सारे देश को, जहाँ सोना पाया जाता है, घेरे हुए है | उस देश का सोना उत्तम होता है | वहाँ मोती और सुलैमानी पत्थर भी मिलते है | दूसरी नदी का नाम गीहोन है यह कूश के सारे देश को घेरे हुए है | और तीसरी नदी का नाम दजला है यह अश्शुर के पूर्व की ओर बहती है | चौथी नदी का नाम फ़रात है | तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को लेकर अदन की वाटिका में रखा कि वह उसकी बागवानी और देखभाल करे |
*गॉड ने आदम को उस बगीचे का माली बनाया, कारण बगीचेका देख भाल माली ही तो करता है | फिर यहोवा परमेश्वर ने आदम को यह कहकर आज्ञा दी “तू वाटिका के किसी भी पेड़ का फल बेखटके खा सकता है, परन्तु जो भले और बुरे के ज्ञान का वृक्ष है उसमें से कभी न खाना, क्योकि जिस दिन तू उसमें से खाएगा उसी दिन तू अवश्य मर जाएगा”|
* यानि गॉड की इस बात को मिथ्या प्रमाणित कर दिया शैतान ने, गॉड ने कहा की इस फल को खाने से मर जायेगा, और शैतान ने उसी फल को खिला कर आदम को बतादिया की गॉड झूठा है, इसको खाकर देखो नहीं मरोगे, और शैतान की बात सही निकली| अब दुनिया वालो आप सब को यह निर्णय लेना होगा की पूजने लायेक झूठा गॉड है, अथवा वही सत्यवादी, जिसे बाईबिल और कुरान ने शैतान कहा ? यह मानव समाज के सामने बहुत बड़ा सवाल खड़ा है | की जो झूठ बोले दुनिया तो उसे गॉड या अल्लाह के नामसे उसकी इबादत कर रहे हैं, और जो सत्य बोलकर अल्लाह अथवा गॉड की बातों को मिथ्या प्रमाणित कर दिया उसे ही शैतान कह रहे |
फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, “आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं है | मै इसके लिए एक उपयुक्त सहायक बनाऊंगा” और यहोवा परमेश्वर भूमि में से प्रत्येक जाति के वन-पशु और आकाश के सब प्रकार के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया, की देखे की वह उनका क्या नाम रखता है और आदम ने प्रत्येक प्राणी को जो नाम दिया, वही उसका नाम हो गया | और आदम ने सब घरेलू पशुओ, आकाश के पक्षियों, और भूमि के सब वन-पशु के नाम रखे, पर आदम के योग्य कोई सहायक न मिला | अत: यहोवा परमेश्वर ने आदम को गहरी नींद में डाल दिया, और वह जब सो रहा था तो उसने उसकी एक पसली निकालकर उसके स्थान में मास भर दिया | तब यहोवा परमेश्वर, आदम में से निकाली गयी उस पसली को से एक स्त्री की रचना करके, उसे आदम के पास ले आया | और आदम ने कहा, “यह तो मेरी हड्डियों में की हड्डी, और मेरे मास में का मास है अत: यह नारी हुई क्योकि यह नर में से निकाली गई है | इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा, और वे एक ही तन बने रहेंगे |
*-इस किस्से को कुरान और बाईबिल दोनों ही माना है, जो यह कहागया की पुरुष के हड्डी और मांस से उनकी पत्नी और जोड़ा को बनाया, और कहा की वह दोनों एक ही तन बने रहेंगे, फिरतो ईसाई और मुसलमानों में पत्नी का तलाक नहीं होनी चाहिए ? आदम और उसकी पत्नी दोनों नंगे थे, पर लजाते न थे |
* यहाँ दो बातें होंगी एकदम निरवस्त्र रहना बेशर्मी है, तो यह मानलेते हैं की अभी वस्त्र बना नहीं तो दोनों निरवस्त्र रहे, किन्तु जो शारीर धारी गॉड अथवा अल्लाह है, वह तो निरवस्त्र वाले स्त्री और पुरुष को देखना पसंद करते रहे | शायद हिन्दू घराने वालों ने इसका ही अनुकरण किया, और परमात्मा निराकार होने से, शरीरधारी श्री कृष्ण जी को इसी कम में लगा दिया, जैसा महिलाओं का कपड़ा ले कर पेड़ पर चढ़ गये और उन्हें नंगी देखने को कह रहे की ऊपर आवो | हमारे हिन्दू घराने वालों ने यह नक़ल उतारी बाईबिल और कुरान की |
अब देखें कुरानानुसार आदम की कहानी तो मिलती जुलती ही है बाईबिल से, और इन दोनों किताब ने माना है की अल्लाह या गॉड ने आदम को बनाकर उसमे रूह {आत्मा} डाली अल्लाह और गॉड ने, किन्तु उसी आदम पत्नी को बिना रूह या आत्मा के गॉड या अल्लाह ने बनाया | अब यह बात कहाँ तक ठीक और सत्य है अथवा होना संभव है पढ़े लिखे लोग विचार करें | हैरानी तो इस बात की है की जो लोग अपने को पढ़े लिखे, एमफिल और, पीएचडी कोई एम बी बी एस , और जीव विज्ञानं का जानने वाले भी इसको सत्य मान रहे है |
इसका कारण जो मैं पाया हूँ, की ऊपर दर्शाए गये किससे से आप लोगों को पता लगा ही होगा की अल्लाह –या गॉड ने अकल का पेड़ जो अदन के बगीचे में लगाया, और उस के फल को खाने को मना किया, तो जब अकल के फल यह खायेंगे नहीं तो इनकी अकल आयेंगी कहाँसे ? यही कारण है कुरान और बाईबिल वालों की, की अकल से काम न लो, जानो मत, सिर्फ मानो, जानोगे तो ईमान से हाथ धोना पड़ेगा |
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