Friday, August 22, 2014

खान्ग्रेस की जिस मुस्लिमपरस्त हिन्दू विरोधी राजनीति के परिणामस्वरूप अखण्ड भारतवर्ष के टुकड़े हुए -अशोक "प्रवृद्ध"

खान्ग्रेस की जिस मुस्लिमपरस्त हिन्दू विरोधी राजनीति के परिणामस्वरूप अखण्ड भारतवर्ष के टुकड़े हुए
अशोक "प्रवृद्ध"

१५ अगस्त १९४७ को मुस्लिम जेहादी उन्माद के परिणामस्वरूप खान्ग्रेस अर्थात कांग्रेस द्वारा अखण्ड भारतवर्ष का विभाजन करवाकर मुसलमानों के लिए पृथक देश बनवा देने के पश्चात बहुसंख्यक सनातनी भारतीयों को एक उम्मीद जगी थी कि खान्ग्रेस की जिस मुस्लिमपरस्त हिन्दू विरोधी राजनीति के परिणामस्वरूप अखण्ड भारतवर्ष के टुकड़े हुए उस राजनीति से खान्ग्रेस हमेशा - हमेशा के लिए तौवा कर लेगी । मुहम्मदअली जिन्ना जैसे नेता कांग्रेस कभी दोवारा पैदा नहीं करेगी ।कभी दोवारा न कांग्रेस का अध्यक्ष कोई विदेशी अंग्रेज बनेगा न देश फिर किसी अंग्रेज का गुलाम होगा ।लेकिन उस वक्त सब देशभक्त बहुसंख्यक भारतीयों की उम्मीदों पर पानी फिर गया जब कांग्रेस के कुछ हिन्दुविरोधी नेताओं ने ईसाई देशों में प्राप्त आंग्ल शिक्षा के परिणामस्वरूप बनी गुलामी सोच को आगे बढ़ाते हुए देश को हिन्दुराष्ट्र घोषित करने का विरोध करते हुए जिनके कारण देश का विभाजन हुआ था उन्हें ही शेष राष्ट्र में पुनः रहने की स्वीकृति देते हुए शेष भारतवर्ष के सेकुलर घोषित कर उनके ऊपर धन व सुख सुविधाएँ की सरकारी मेहरबानियों की बरसात का बौछार कर दिया l

भारतवर्ष विभाजन के पश्चात भारतवर्ष की गद्दी पर येन- केन प्रकारेण कब्जा जमाने वाले काले अंग्रेजों ने भारतीय सभ्यता - संस्कृति की पावन प्रतीक परमपूजनीय भगवाध्वज को राष्ट्रीय ध्वज बनाने का विरोध कर दिया । मर्यादा पुर्षोतम श्री राम को भारतवर्ष का आदर्श घोषित करने की जगह एक ने स्वयं को बापू तो दूसरे ने स्वयं को चाचा घोषित करते हुए देश के अन्दर एक ऐसी भारत , भारतीय और भारतीयता अर्थात हिन्दुविरोधी विभाजनकारी राजनीति को जन्म दिया जिसके परिणाम स्वरूप आज सिर्फ ६७ - ६८ वर्ष बाद भारतवर्ष फिर से उसी स्थान पर पहुंच गया है जहां विभाजन के पूर्व सन १९४६ में था ।आज एक बार फिर अपनी चरित्रहीनता भारत , भारतीय व भारतीयता विरोधी मानसिकता को प्रदर्शित करते हुए खान्ग्रेसियों ने एक कुलक्षणा , कुलनाशिनी , चरित्रहीन फिरंगन को अपनी अम्मा बनाकर बहुसंख्यक भारतीयों के उम्मीदों पर पानी फेर दिया है l गत लोकसभा चुनाव २९१४ में खान्ग्रेसियों की भारत , भारतीय व भारतीयता विरोधी मानसिकता के कारण मिली बेशर्म पराजय के पश्चात भी अपने आपको देश की सर्वप्राचीन कहने वाली पार्टी खान्ग्रेस और उसकी अम्मा कोई समझ नहीं आई है l

No comments:

Post a Comment

सरल बाल सत्यार्थ प्रकाश

  सरल सत्यार्थ प्रकाश ओ३म् सरल बाल सत्यार्थ प्रकाश (कथा की शैली में सत्यार्थ प्रकाश का सरल बालोपयोगी संस्करण) प्रणेता (स्वर्गीय) वेद प्रकाश ...