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- शाश्वत्त सत्यशाश्वत्त का अर्थ है सदा रहने वाला अर्थात नित्य . जो नित्य है , वह सबके लिए है . किसी जाति अथवा किसी देश विशेष से इसका एकाकी सम्बन्ध नहीं हो सकता . इसी प्रकार शाश्वत्त सत्य का अर्थ हुआ सदा सत्य रहने वाला अर्थात नित्य निरन्तर सत्य .यह सर्वविदित तथ्य है कि ज्ञान का मूल स्त्रोत परमात्मा है और परमात्मा का ज्ञान वेद ज्ञान है . यह ज्ञान प्राणीमात्र के लिए है .जैसे एक बृक्ष , जिसका सम्बन्ध मूल से कट गया हो , कुछ काल तक तो हरा – भरा रह सकता है , परन्तु वह शीघ्र ही सूखने और सड़ने लग जाता है , ठीक इसी प्रकार मानव समाज भी , परमात्मा के मूल ज्ञान से विच्छिन्न हो सुख तथा सड़ रहा है. मानव समाज मानवता विहीन हो रहा है . इस मानव समाज को पुनः ज्ञान के उस मूल स्त्रोत वेद से जुड़ने पर ही आर्य सनातन वैदिक धर्मावाल्म्बी हिन्दू समाज और भारत , भारतीय व भारतीयता का कल्याण संभव है अन्यथा बेड़ा गर्क समझो .
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Sunday, October 19, 2014
शाश्वत्त सत्य
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