Thursday, April 3, 2014

शिवाबावणी

 नित्य प्रातः स्मरणीय हिन्दू शिरमौर छत्रपत्ति शिवाजी महाराज को उनकी पुण्यतिथि पर शत - शत हार्दिक नमन


शिवाबावणी

छत्रपति शिवाजी महाराज की जय 

भारतीय मित्रों ! 
सर्वप्रथम नित्य प्रातः स्मरणीय हिन्दू शिरमौर छत्रपत्ति शिवाजी महाराज को उनकी पुण्यतिथि पर शत - शत हार्दिक नमन और श्रद्धांजलि !!!

नित्य प्रातः स्मरणीय छत्रपति शिवाजी माहराज की प्रशंसा में प्रख्यात कवि भूषण ने एक कविता लिखी थी ,परन्तु अंग्रेजों का आजीवन वेतन भोगी सिपाही मोहनदास करमचंद गाँधी ने महात्मा पद की आकांक्षा में इस्लाम के अनुयायियों और छद्म धर्मनिरपेक्ष वादियों को खुश करने के शिवाजी महाराज की प्रशंसा में गाई गई भूषण कवि की बावन छंदों में गाई गई शिवाबावणी नामक कविता को अंग्रजों से मिलकर प्रत्तिबंधित करवा दिया था . अमर शहीद हुतात्मा नाथूराम गोडसे की " गांधी बध क्यों ?" नामक ग्रन्थ में भी इस बात का उल्लेख है जिसे भारत , भारतीय और भारतीयता के रक्षक सर्वश्री नाथूराम गोडसे ने न्यायालय में अपने वयान में दर्ज कराया था . शिवाबावणी की कुछ पंक्तियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत है -

कुंभकर्ण असुर अवतारी औरंगजेब ,
 काशी प्रयाग में दुहाई फेरी रब की . 
 तोड़ डाले देवी देव शहर मुहल्लो के . 
लाखों मुसलमान किये माला तोडी सब की,
भूषण भणत भाग्यो काशीपति विश्वनाथ. 
और कौन गिनती में भूली गति सब की .
काशी कर्बला होती मथुरा मदीना होती .
शिवाजी ना होते तो सुन्नत सब की होती . . . . . . . . . . 

 मोहन दास करमचंद गांधी ने शिवाबावणी जैसी ऐतिहासिक और साहित्यक रचना पर भी प्रतिबंधित लगवा दिया था .

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