घर - गृहस्थी व्यवसाय नहीं है , इसका तो एकमात्र उद्देश्य
परिवार की सृष्टि और उसका पालन - पोषण ही है
अशोक "प्रवृद्ध"
वर्तमान में कमाऊ बीवी को शादी करने के मामले में युवक और युवक के परिजन प्राथमिकता देने लगे हैं , परन्तु विवाह घर - गृहस्थी चलाने के लिए होता है न कि कोई व्यवसाय चलाने के लिए । व्यवसाय में तो यह होता है कि जिस कार्य में अधिक लाभ की प्राप्ति हो , उसको ही किया जाये । इसमें धन की उपलब्धि ही मुख्य उद्देश्य होता है । अतः व्यवसाय में लगे सब व्यक्ति अधिकाधिक् धन प्राप्त करने के लिए यत्न करते हैं ।
परन्तु घर - गृहस्थी व्यवसाय नहीं है । इसमें तो परिवार की सृष्टि और उसका पालन - पोषण ही एकमात्र उद्देश्य होता है । कभी परिवार को चलाने के लिए धन की प्राप्ति त्यागी भी जाती है , परन्तु व्यवसाय में ऐसा नहीं होता । उसमे धन मुख्य है और परिवार में परिवार की भलाई ।
विवाह में मुख्य वासना - तृप्ति नहीं होती । यदि वासना ही मुख्य होती तो विवाह की आवश्यकता नहीं थी । वासना - तृप्ति के अतिरिक्त संतान का पालन - पोषण अधिक आवश्यक होता है । जैसे वासना - तृप्ति के लिए भाड़े की पत्नी ली जा सकती है , वैसे ही परिवार के पालन के लिए भाड़े के नौकर रखे जा सकते हैं । परन्तु दोनों कार्य भाड़े पर कराने की अपेक्षा घर पर रहकर स्वयं करना सुगम और उचित होता है ।
No comments:
Post a Comment