Saturday, December 28, 2013

मुहम्मद के चित्र बना देने वाले को कत्ल करने वालों को हमारे ईश्वर का अपमान करने का अधिकार कहाँ से प्राप्त हुआ?

मुहम्मद के चित्र बना देने वाले को कत्ल करने वालों को हमारे ईश्वर का अपमान करने का अधिकार कहाँ से प्राप्त हुआ?


अपने अजान द्वारा ईमाम(मुअज्जिन) गैर-मुसलमान को अजान के पंक्तियों के अनुसार दिन में लाउड स्पीकर से कम से कम १५ बार हल्ला कर - करके चेतावनी देते हैं कि तुम्हारा ईश्वर झूठा है । ईश्वर पूजा के योग्य नहीं है ।
क्या मुसलमान यह बताएंगे कि मुहम्मद के चित्र बना देने वाले को कत्ल करने वालों को हमारे ईश्वर का अपमान करने का अधिकार कहाँ से प्राप्त हुआ? 

यहां पूरी अज़ान के बोल उल्लिखित कर देना उचित महसूस होता है , ताकि आप स्वयं महसूस कर सकें कि अजान के माध्यम से कैसे ईमाम अर्थात मुसलमान गैर मुस्लिमों को खुल - ए - आम ये चुनौती देते हैं कि हमारा ईश्वर असत्य और पूजा के योग्य नहीं ।
~ अजान~

●  अल्लाहु अकबर-अल्लाहु अकबर (दो बार), अर्थात् ‘अल्लाह सबसे बड़ा है।’

●  अश्हदुअल्ला इलाह इल्ल्अल्लाह (दो बार), अर्थात् ‘मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवाय कोई पूज्य, उपास्य नहीं।’

●  अश्हदुअन्न मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह (दो बार), अर्थात् ‘मैं गवाही देता हूं कि (हज़रत) मुहम्मद (सल्ल॰) अल्लाह के रसूल (दूत, प्रेषित, संदेष्टा, नबी, Prophet) हैं।’

●  हय्या अ़लस्-सलात (दो बार), अर्थात् ‘(लोगो) आओ नमाज़ के लिए।’

●  हय्या अ़लल-फ़लाह (दो बार), अर्थात् ‘(लोगो) आओ भलाई और सुफलता के लिए।’

●  अस्सलातु ख़ैरूम्-मिनन्नौम (दो बार, सिर्फ़ सूर्योदय से पहले वाली नमाज़ की अज़ान में), अर्थात् ‘नमाज़ नींद से बेहतर है।’

●  अल्लाहु अकबर-अल्लाहु अकबर (एक बार), अर्थात् ‘अल्लाह सबसे बड़ा है।’

●  ला-इलाह-इल्ल्अल्लाह (एक बार), अर्थात् ‘कोई पूज्य, उपास्य नहीं, सिवाय अल्लाह के।’

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