Sunday, July 13, 2014

वैदिक ज्ञान परम्परा ही भारतवर्ष को असली गौरवमयी भारतवर्ष बनाती है

वैदिक ज्ञान परम्परा ही भारतवर्ष को असली गौरवमयी भारतवर्ष बनाती है



पुरातन भारतवर्ष में आर्य सनातन वैदिक धर्म का अत्यंत महत्व रहा है। आर्ष विद्वानों के अनुसार जो व्यक्ति , परिवार अपने सनातन वैदिक धर्म से हट गया, समझो वह राह भटक गया। फिर वह चाहे कितने ही तर्क देगा, कितना ही कुछ करेगा, कुछ सही नहीं होगा। हर क्षेत्र में गड़बड़ी होगी। सब कुछ सुचारु रूप से चले, इसके लिये आवश्यक है कि हम अपने वैदिक धर्म के मार्ग पर ही आरूढ़ रहें, अपने वैदिक सिध्दांतों को अपनाएं । भारत , भारतीय और भारतीयता अपने इस वैदिक धर्म, अपने वैदिक सिध्दांतों के कारण ही संसार भर में जाने जाते हैं। भारतवर्ष की पहचान उसका सनातन वैदिक ज्ञान ही है। भारतवर्ष का वैदिक ज्ञान सर्वश्रेष्ठ ज्ञान है। भारतवर्ष की वैदिक ज्ञान परम्परा ही भारतवर्ष को असली गौरवमयी भारतवर्ष बनाती है। भारतीय विधर्मी , विदेशी मुग़ल - अंग्रेजी प्रशासन के दौर में इस सनातन मार्ग से भटक गये। तभी से देश में भारी गड़बड़ी चली आ रही है। यह कितनी शर्मनाक बात है कि छद्म स्वाधीन भारतवर्ष में सरसठ साल बाद भी शासनिक - प्रशासनिक स्तर पर हम उन्हीं रास्तों पर चल रहे हैं जिनमें विदेशी दासत्व के युग में चल रहे थे । हम भारतीय अभी भी उन्हीं विदेशी नीतियों पर चल रहे हैं। भारतवर्ष को पुन: विश्वगुरु भारतवर्ष बनाने के लिये, सर्वसम्पन्न राष्ट्र बनाने के लिये वैदिक धर्म को अपनाना , संरक्षण देना और संवर्द्धन करना आवश्यक है। क्योंकि धर्म और सिध्दांत ही किसी राष्ट्र के कर्म को, उसके विकास को सही दिशा देते हैं । यदि मार्ग सही होगा, उसके नियम-नीतियां सही होंगी तो योजनाएं, कार्यक्रम और विकास भी सही दिशा में होगा, सुफलदायक होगा। सनातन परम्परा से ही अपने इस वैदिक ज्ञान के महत्व को जानने के कारण ही यह विद्या भारतीयों को अपने इस वैदिक मार्ग पर बने रहने के लिये स्वतः प्रेरित करती रहती है बस सरकार के द्वारा इसे प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है ।

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