Tuesday, September 23, 2014

कल मैं अंतर्जालीय अपराध (साइबर क्राइम) का शिकार होते - होते अर्थात लूटते - लूटते बचा !

कल मैं अंतर्जालीय अपराध (साइबर क्राइम) का शिकार होते - होते अर्थात लूटते - लूटते बचा !

आज - कल आये दिन लोगों के अंतर्जालीय अपराध (साइबर क्राइम) का शिकार होकर बैंक से पैसा गंवाने की खबर आम हो चली है . ऐसा ही कुछ कल दिनांक २२ / ०९ / २०१४ को सायं काल ०७:५८ :०० बजे मेरे साथ हुआ . शाम के ठीक सात बचकर अनठावन मिनट पर मेरे निजी चलंत दूरभाष पर दूरभाष संख्या (फोन नम्बर) +९१८०५१०२३३४५ से एक दूरभाष (फोन / कोल) आई .जब मैंने बात करने के लिए दूरभाष चालू की तो उधर से एक कोमल नारी की मधुर आवाज सुनाई डी. उधर से बात करने वाली नाजनीन ने बड़े ही कोमल स्वर में कहा कि हल्लो गुड इवनिंग सर . मैंने जब प्रत्युत्तर में उन्हें शुभ संध्या की तो उन्होंने कहा कि मैं बैंक मैनेजर हूँ , हम लोग सर्वे कर रहे हैं . आपके कौन - कौन से बैंक में कितने ऐ टी एम कार्ड हैं उनका नम्बर दीजिए . प्रत्युत्तर में मैंने कहा कि मेरे पास किसी भी बैंक का कोई भी ऐ टी एम कार्ड नहीं है . इस पर उधर से बात करने वाली ने कहा कि बैंक में खाता तो होगा उसका पास बुक नम्बर ही दे दिजिए . इस पर मैंने कहा कि मेरा अब तक किसी भी बैंक में किसी प्रकार का कोई खाता नहीं है , अब प्रधानमंत्री जन - धन योजना से किसी बैंक में खाता खुलवाने के लिए एक पहचान पत्र बनवाने की फिराक में हूँ , इस पर वे आश्चर्य व्यक्त करने लगी . जब मैंने पूछा कि आप कौन सी बैंक की मैनेजर हैं तो उधर से कहा गया कि मैं आर बी आई से हूँ . इस पर मैंने कहा कि आर बी आई ? तो उन्होंने कहा कि हाँ आर बी आई - रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया कहते हुए उधर से फोन काट दिया गया .

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