Thursday, October 31, 2013

केवल विज्ञान ही मानव को सुख तथा शांति प्रदान करने में सहायक नहीं होता - अशोक "प्रवृद्ध"

केवल विज्ञान ही मानव को सुख तथा शांति प्रदान करने में सहायक नहीं होता
अशोक "प्रवृद्ध"

केवल विज्ञान ही मानव को सुख तथा शांति प्रदान करने में सहायक नहीं होता। सिर्फ विज्ञान की शिक्षा मनुष्य को पशु बना देती है। विज्ञानं मानव जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी हो सकता है , किन्तु मानव मन जो कि नितांत भौतिकवादी है , वह इस  भौतिक विज्ञानं का अर्थात आधुनिक विज्ञानं का सदुपयोग करने की अपेक्षा अधिकांश रूप में दुरुपयोग ही कर बैठता है। मनुष्य के मन में कुछ विकार हुआ करते हैं , जिनको भारतीय दार्शनिक काम , क्रोध , लोभ , मोह, अहंकार आदि नाम देते हैं। वास्तव में ये विकार ही समस्त संसार के प्राणियों के दुखों का मूल कारण। होते हैं। संसार कितनी ही भौतिक उन्नति कर ले किन्तु जब तक मनुष्य में ये विकार विद्यमान हैं तब तक वह किसी भी प्रकार उन्नति नहीं कर सकता। वही उन्न्नति उसकी अवनति का कारण भी बन सकती है।

भौतिक उन्नति इन विकारों से मुक्ति दिलाने में किञ्चित भी सहायक नहीं होती। भारतीय मनोवैज्ञानिकों का मत है कि इस प्रकार के मनोविकारों से यदि मनुष्य मुक्ति चाहता है तो उसको त्याग- तपस्या के साथ - साथ अपने पूर्वापर जन्म के विषय में भी सोचना होगा। सब प्रकार की सुख - शांति की प्राप्ति के लिए मन का विकार रहित होना आवश्यक है। भौतिक उन्नति के साथ - साथ इन विचारों अर्थात आद्यात्मिक विचारों का ज्ञान भी आवश्यक है।

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