Wednesday, October 2, 2013

2 दो अक्टूबर का दिन


2 (दो) अक्टूबर का दिन ।

तथाकथित मोहनदास करमचंद गाँधी उर्फ़ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (2 अक्टूबर, 1869 – 30 जनवरी, 1948) और देश के दूसरे प्रधानमंत्री स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री (2 अक्टूबर, 1904 – 11 जनवरी, 1966) की जन्मतिथि । दोनों का स्मरण करने और दोनों से किंचित् प्रेरणा लेने का दिन ।

जहां तक शास्त्रीजी का सवाल है उन्हें उनकी निष्ठा, देशभक्ति और सादगी के लिए सदैव स्मरण किया जाता है, प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू की काबिना के एक ईमानदार मंत्री के तौर पर उनकी पहचान भी रही है । किंतु प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल संक्षिप्त ही रहा, उन्हें देशघातक , राष्ट्र्विरोधियों ने एक षड्यंत्र के तहत एक विमान दुर्घटना में मार दिया।अगर प्रधानमंत्री की भूमिका में वे लम्बे अवधि तक राष्ट्र की सेवा कर पाते तो आज देश की स्थिति कुछ अलग अवश्य होती ।

महात्मा गांधी की तो बात ही कुछ अलग है । छद्म स्वाधीनता प्राप्ति के पश्चात्  वे राष्ट्र्विघातक , देशभंजक ,अधर्मी तत्वों के समूहों के कंधे पर सवार हो अहिंसावादी नायक के तौर पर विराजमान हो चुके हैं और छद्म स्वाधीन भारतवर्ष में सर्वाधिक अवधि तक केंद्र की सत्ता में स्तासीन रहने वाली खान्ग्रेस पार्टी और खान्ग्रेसियों के लिए वोट हासिल करने की लाइलाज रोग के इलाज के के लिए अचूक औषधि के तौर पर राष्ट्रपिता अहिंसावादी, महात्मा ब्रांड के रूप में सर्वत्र व सदैव प्रस्तुत प्रतिस्थापित होकर पूजित हो बेचे जा रहे हैं। महात्मा के रूप में अंग्रेजों के आत्मजों के मध्य उन्हें विश्व में अहिंसा के पुजारी के तौर पर जाना जाता है । भारत , भारतीय और भारतीयता के दुश्मन खान्ग्रेस और उसके धर्मनिरपेक्ष सहयोगियों की मिलीभगत से संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) ने तो आज के दिन (2 अक्टूबर) को ‘अहिंसा दिवस’ (Non-Violence Day) घोषित कर रखा है । सभी गांधीवादी , मोहनदास करमचन्द्र गाँधी उर्फ़ महात्मा गांधी (??) को अहिंसा का पुजारी मानते हैं जिसने कभी भी किसी तरह की हिंसा नहीं की परन्तु इतिहास के अध्ययन से इस सत्य का सत्यापन होता है कि तथा वास्तविकता भी यह है कि बीसवी सदी के सबसे पहले हिन्दुओं के नरसंहांर का नेतृत्व इसी मोहनदास करमचन्द्र गांधी ने 1919 - 1921 में खिलाफत आन्दोलन के समय किया था | भारत , भारतीय और भारतीयता के सबसे बड़े दुश्मन गाँधी आज वोट बैंक के सबसे बड़े अलमबरदार खान्ग्रेसियों के लिए बन गए हैं और मैकाले की आङ्ग्ल शिक्षा नीति से शिक्षित भारतीय वास्तविक इतिहास से अनभिज्ञ हो भेड़ की चाल में खान्ग्रेस को सत्ता सौंप राष्ट्र की हत्या करने में भागीदार हो रहे हैं।

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