Wednesday, March 26, 2014

सहस्त्राब्दियों वर्षों की धरोहर की उतुंग थाती रखते हुए भी हम आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दू सौ साल पहले के एक ढोंगी व्यक्ति को अपना बाप बनाए क्यूं घूम रहे हैं ? - अशोक "प्रवृद्ध"

वन्दे भारतमात्तरम 

सहस्त्राब्दियों वर्षों की धरोहर की उतुंग थाती रखते हुए भी हम आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दू सौ साल पहले के एक ढोंगी व्यक्ति को अपना बाप बनाए क्यूं घूम रहे हैं ? 
अशोक "प्रवृद्ध"

गौरवमयी भारतवर्ष की हमारी चमचमाती पहचान तो पाताल के गर्त्त में छुपी हुई है और हम इंडिया - इंडिया करते हुए उसके बापू गाँधी, चाचा नेहरू के नाम की जाप करने में लींन हैं l क्या आप कभी इस बात पर चिंतन - मनन करते हैं कि दो अरब से भी अधिक वर्षों का इतिहास रखते हुए , सहस्त्राब्दियों वर्षों की धरोहर की उतुंग थाती रखते हुए भी हम आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दू सौ साल पहले के एक ढोंगी व्यक्ति को अपना बाप बनाए क्यूं घूम रहे हैं ? क्या भारतमाता पर गर्व करने वाले भारत माँ की संतान उस राष्ट्र के टुकड़े करने वाले चरित्रहीन पाखंडी शख्स पाकपिता को बापू मान ले ?  आदि सनातन काल से छोड़ भी दिया जाये तो भी गत्त पाँच हजार वर्ष के काल में भी मोहन दास करमचंद गाँधी को बापू मान लिया जाता है तो भी पाँच हजार साल के अंदर के लाखों महान ऋषि - मुनियों, साधु - संतों , महापुरूषों  , विद्वतजनों के मुँह पर कालिख पोतने के तुल्य , समान होगा l
जय जय श्रीराम 

भारतवर्ष के विभाजन के जनक खान्ग्रेसियों और गांधीवादी ढोंगियों !
गाँधी होगा तेरा बाप क्यूंकि मेरे श्रीराम , मेरे कृष्ण जिसने इस जैसे अरबों बापों के बाप महाबाप होने के बावजूद  क्रमशः सम्पूर्ण जग को जीत कर भी वहाँ का सम्राट बनना स्वीकार न कर राज्य वहाँ के योग्य व्यक्ति को सौंप प्रण के अनुसार मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम ने स्वयं वनवासी बनना स्वीकार किया , महाभारत युद्ध के प्रणेता और परिणाम के संचालक और श्रीमद भगवदगीता के उद्घोषक होने के बाद भी श्रीकृष्ण ने अपने को माखनचोर , रणछोड़ , ग्वाला , और पत्ता नहीं क्या - क्या कहलवाया परन्तु बाप नहीं कहलवाया l लोकमान्यता अनुसार स्वयं सम्पूर्ण संसार के पालन - पोषण करने वाले साक्षात् विष्णुस्वरूप अर्थात विष्णु के अवतार होने के बाद भी श्रीराम , श्रीकृष्ण ने भी अपने को बाप अथवा बापू नहीं कहलवाए , कारण कि उनके पूर्व जो पूर्वज थे उनको गाली तो कदापि सनातन धर्म में नहीं दे सकते ,इस धरती माता से तो हम कोई धृष्ठता नहीं कर सकते l करने वाले करो , परन्तु हम तो कदापि नहीं कर सकते क्योंकि जिसके लिए पिता अर्थात नाप की कोई कीमत न हो और अपने बाप के बाद भी बाप बनाने की प्रवृत्ति वालों को हमारे यहाँ चापलूस , भडुवा , दलाल या फिर गलत माना जाता है l

 तो भैया आने वाली सरकार इस बार २ अक्तूबर को अपने इंडिया के बाप का विज्ञापन न करे हा देश के लिए कोई एक बड़े व्यक्ति , महापुरूष का सम्मान कर सकते है उसमे हम भी प्रेम भाव से शामिल होंगे l परन्तु बाप तुम्हारे इंडिया का और खुशिया हम श्रीरामनवमी और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने वाले भारतीय मनाये तो मित्रो यह तो नहीं ही चलेगा l

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