Sunday, March 30, 2014

आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दू कदापि आतंकवादी नहीं हो सकता भले ही क्रांतिकारी हो !

आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दू कदापि आतंकवादी नहीं हो सकता भले ही क्रांतिकारी हो !

हमारे देश भारतवर्ष की  आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दू जाति ने १००० वर्ष की जिल्लत भरी दोयम दर्जे का जीवन व्यतीत किया है और जो ऐसी जिंदगी नहीं जी सके वो वीर सावरकर, वीर शिवाजी, वीर महाराणा प्रताप बन गए . आज भी वही युग है.  रोमकन्या सोनिया गाँधी जी और उसके इसाई - मुस्लिम गैंग यह बात जान लो कि साठ वर्ष नहीं वरण अगले १००० वर्ष भी हम हिन्दुओ पर अत्याचार करोगे , तो भी सनातनियों के खून से , हिन्दुओ के डी एन ऐ से त्याग, तपस्या, देश प्रेम, सार्वभौमिकता , स्वतंत्रता का तत्व अलग नहीं कर पाओगे . जो बात इस इसाई-मुस्लिम गैंग को समझ नहीं आता है वह यह है कि हर हिन्दू अपने जीवन में बाल्याश्रम , शिक्षाश्रम , गृहस्थाश्रम और वान्यप्रस्थ (संन्यास) आश्रम अर्थात बाल्यावस्था, विद्यार्थी जीवन, गृहस्थ जीवन और वानप्रस्थ जैसी चक्र से गुजरता है. हर हिन्दू अपने जीवन में धनोपार्जन करता है और फिर अंत में उसे त्याग कर के मोक्ष की चाह में सारे सुख और सुविधा त्याग देता है. और वन अथवा काशी गंगा के किनारे शेष जीवन मोक्ष प्राप्ति की आस में गुजर देता है. सोनिया  के नेतृत्व में खान्ग्रेस के द्वारा जो ज्ञान का घूँट देशवासियों को पिलाया जा रहा है कि हिन्दू आतंकवादी हो गया है हिंदुत्व का पावन - पवित्र रंग भगवा आतंकवादी रंग हो गया . हमें उसकी पुरजोर निंदा करनी चाहिए और बता देना चाहिये कि आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दू कदापि आतंकवादी नहीं हो सकता भले ही क्रांतिकारी हो.
 जिन खांग्रेसियो को आतंकवादी और क्रन्तिकारी में अंतर ही नहीं मालूम है वो इस देश के पानी और गंगा जल को एक समान ही मानते रहेंगे. जो लोग गाय और शेष अन्य पशुओ को बराबर एकसमान ही मानेगे उनके ज्ञान पर मुझे तरस ही आता है.

अरे बेवकूफ खान्ग्रेसियों और उसके छद्म धर्मनिरपेक्ष सहयोगियों !
जब किसी देश के ९० प्रतिशत लोगो को किसी बात की पीड़ा होती है तो वो आतंकवादी नहीं क्रन्तिकारी बनते है और उसको क्रांति कहते है. अपने ही देश में ९०% हिन्दू अपने को यदि हिन्दू राष्ट्र भी घोषित करते या कौशिश करते है तो भी आतंकवादी नहीं ज्यादा से ज्यादा आप उसको क्रांतिकारी ही कह सकते हो. और क्रांति हिन्दुओ के खून में है, क्रांति ही तो श्री कृष्ण ने अंधे धृतराष्ट्र के और गुंडे दुर्योधन के विरुद्ध की थी. खैर बड़ी बात है आप जैसे देशद्रोहियों के समझ में यह बात नहीं आयेगी.  अरविंदो और विवेकनंद जी भी तो क्रांति की ही बात करते थे. स्वामी राम देव जी भी तो देशो को क्रांति ही की तरफ प्रेरित कर रहे है. क्रांति का रूप क्या हो यह अलग चर्चा का विषय हो सकता है. अरे गधे ! अरे नरपिशाचों ! इस देश के सर्वोच्च न्यायलय अर्थात सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व को जीवन जीने की एक पद्धत्ति माना है. तो यदि कल को इस भारत देश के बहुसंख्यक लोग भी ऐसा फैसला ले लें कि सारा राष्ट्र हिन्दू पद्धत्ति  से ही जीएगा और राष्ट्र हिन्दू राष्ट्र है और हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाये तो इसमें गलत क्या है ?

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