मुस्लिम तुष्टीकरण नीति का अर्थ है हिन्दू - मुस्लमान में विग्रह उत्पन्न करना ।
अशोक "प्रवृद्ध"
वर्तमान में मुस्लिम तुष्टीकरण नीति का अर्थ है हिन्दू - मुस्लमान में विग्रह उत्पन्न करना । छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों और खान्ग्रेसियों का विचार था कि बहुसंख्यक के मुकाबले अल्पसंख्यक विशेषतः मुस्लिमों को विशेष अधिकार और अनुदान दिए जाने तथा बहुसंख्यकों को आये दिन अपमानित किये किये जाने से भारतवर्ष के मुसलमान हिन्दुओं के विरोधी हो जायेंगे और हिन्दुत्ववादियों के विरूद्ध एकजुट होकर मुस्लिम उन्हें मतदान करेंगे। वे हुए भी हैं , परन्तु मुस्लिम एकजुटता के विरोध में हिन्दुओं को संगठित होते देख खान्ग्रेसी सरकार की समझ में आया कि मुसलमानों को प्रसन्न करते - करते वे हिन्दुओं में संगठन सुदृढ़ करने में सहायक हो गए हैं । वे ऐसा नहीं चाहते थे ।
वे चाहते हैं कि हिन्दू जो इस देश में बहुसंख्या में हैं , वे कई टुकड़े में बंटे रहें और उन सबका विरोध करने वाले मुस्लमान संगठित हो जाएँ । इससे हिन्दू दुर्बल रहेंगे और जो देश में अपना राज्य स्थापित करने में समर्थ हैं, वे राज्य स्थापित नहीं कर सकेंगे ।
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