Wednesday, January 29, 2014

वेद पठन - पाठन

वेद पठन- पाठन

वेद पढ़ने का अधिकार प्रत्येक मनुष्य को है ।
 शूद्र भी वेद पढ़ सकता है ।
जो व्यक्ति विद्या -विहीन हो वह वेद कैसे पढ़ेगा ? हाँ जो व्यक्ति पढ़ा- लिखा है वह वेद पढ़ सकता है । ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र सभी को वेद पढ़ने का अधिकार है । किसी को भी वेद पढ़ने से मना नहीं किया जा सकता ।
स्त्री -जाति को भी वेद पढ़ने की अधिकार है ।
वेद में सभी वर्णों के कर्तव्य बतलाए गए हैं ,मनुष्य मात्र के लिए उपदेश दिया गया है ।नारी जाति के लिए भी उपदेश दिया गया है ।अब यदि किसी वर्ण या नारी जाति को वेद के पठन -पाठन से मना कर दिया जाए तो उन्हें अपने कर्तव्य कर्मों का ज्ञान नहीं हो सकेगा । वे धर्मं , अर्थ , काम और मोक्ष के बारे में नहीं जान पाएंगे। इससे ईश्वरीय उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो सकेगी । ईश्वर का उद्देश्य मनुष्य मात्र को सत्य -ज्ञान का उपदेश देना है । अतः सब को वेद पढ़ने का अधिकार मानना पड़ेगा ।

वेद पढ़ने से लाभ
वेद पढ़ने से अनेक लाभ हैं । मनुष्य को सत्य का ज्ञान होता है । वेद पढ़कर ही मनुष्य धर्मं , अर्थ , काम और मोक्ष के बारे में ठीक -ठीक जान सकता है ।अपने कर्तव्य -कर्मों का ज्ञान वेद के पठन एवं पाठन से ही हो सकता है । वेद के पढ़ने से प्राप्त सत्य - ज्ञान द्वारा मानसिक शांति मिलती है ।मनुष्य सच्चा सुख प्राप्त करता है ।वेद पढ़ने से प्राप्त ज्ञान द्वारा आत्मा की उन्नति होती है । वह दिन पर दिन शुद्ध पवित्र होता जाता है । उसके ऐश्वर्य , यश , वर्चस आदि में वृद्धि होने लगती है । वैदिक ज्ञान से ही आत्मा की मुक्ति संभव है ।

वेद के नहीं पढ़ने से मनुष्य सत्य - ज्ञान के अभाव में मिथ्या -ज्ञान में फंस जाता है ।अधर्म को ही धर्मं समझ लेता है । अधर्म का ही आचरण करने लगता है । इसलिए दुःख उठता है । धर्मं , अर्थ , काम और मोक्ष की सिद्धि से दूर होता जाता है । उसका जीवन दुखी हो जाता है ।मानवशरीर पाना व्यर्थ हो जाता है । आज संसार में जो दुःख और अशांति फैली हुई है इसके मूल में मानव द्वारा वेद पठन - पाठन को छोड़ देना ही है ।

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