Sunday, November 10, 2013

वह दिन दूर है पर एक दिन अवश्य आएगा जब कोई ऐसा माई का लाल अवश्य आएगा जो दूध का दूध पानी का पानी करेगा ।

वह दिन दूर है पर एक दिन अवश्य आएगा जब कोई ऐसा माई का लाल अवश्य आएगा जो दूध का दूध पानी का पानी करेगा ।

खान्ग्रेस का राज स्वराज्य नहीं , स्वराज्य हमारा परम - पवित्र अधिकार है।
स्वराज्य स्थापन के लिए हरसंभव प्रयास करना हमारा परम कत्तव्य है ।।


छद्म स्वाधीन भारतवर्ष में अधिकांश समय तक भारतवर्ष की सत्ता में सत्तासीन रहने वाली खान्ग्रेस का राज्य स्वराज्य नहीं है और न कभी स्वराज्य हो सकता है । एक अंग्रेज द्वारा स्थापित खान्ग्रेस पार्टी न तो कभी राष्ट्रवादी संस्था थी , न है और न कभी राष्ट्रवादी संस्था बन (हो) पायेगी । यह विदेशी द्वारा स्थापित काले अंग्रेजों की विदेशी मानसिकता वाले लोगों की पार्टी है। भारतवर्ष पर इनका अर्थात खान्ग्रेसियों का राज्य स्वराज्य कदापि नहीं हो सकता ।  स्वराज्य हमारा परम - पवित्र अधिकार है, जिसे प्राप्त करने के लिए प्रत्येक जाति को कटिवद्ध रहना चाहिए । साथ ही हमें अपना प्रयत्न ऐसे ढंग से चलाना चाहए कि हम उन भूलों की पुनरावृति न कर सकें , जिनके कारण अंग्रेजों के भारतवर्ष छोड़ कर भागने के दौरान वह प्रयास असफल हुआ था।
 इसलिए इस बार संगठित हो हमें अपना सम्पूर्ण बल लगाकर स्वराज्य स्थापन की दिशा में प्रयत्न करना और इन्हें सत्ताच्युत करने के लिए सदैव हरसंभव प्रयास करना हमारा परम कर्तब्य होना चाहिए।जय श्रीराम मित्रों !
इस्लामी और अंग्रेज राज्य की भांति छद्म स्वाधीन भारतवर्ष में भारत , भारतीय और भारतीयता अर्थात् हिन्दी ,हिन्दू (हिंदुत्व) और हिन्दुत्व पर चतुर्दिक हमले निरन्तर जारी हैं। भारतवर्ष में हिन्दू बचें हैं तो अंग्रेजों अथवा उनके आत्मज काले अन्ग्रेज खान्ग्रेसियों के कारण अथवा उनकी करनी से नहीं , प्रत्युत अपनी विशाल जनसँख्या और आर्य सनातन वैदिक धर्म में अपनी दृढ़ता , आस्था व विश्वास के कारण।
मित्रों!
जो भी भारतवर्ष से कटा अर्थात भारतवर्ष के मूल सनातन वैदिक धर्म से दूर हुआ , वह गया काम से। आर्यावर्त के पुरातन प्राकृतिक सीमाओं के इतिहास के अध्ययन से इस तथ्य की संपुष्टि होती है कि भारतवर्ष के मूल वैदिक से दूर होकर उनकी कैसी दीन - हीन स्थिति हो गई ? इसलिए आर्य सनातन वैदिक धर्म के मूल सिद्धांतों पर दृढ़ता से डटे रहकर इसका प्रचार - प्रसार करना हमारा परम कर्तव्य , परम धर्म और परम अधिकार है इस कार्य में आने वाली हर विघ्न -बाधाओं को दूर कर अपने परम अधिकार के लिए मार्ग बनाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु निरंतर संघर्षशील रहना नितांत आवश्यक है ।
भारतीय मित्रों !
हिम्मत नहीं हारना है । भारतवर्ष के मूल वैदिक धर्म से दूर होने वाले अस्तित्व हीन हो गए और हम सदियों से विधर्मियों से प्रताड़ित , राष्ट्र्घातकों से शोषित - पीड़ित होकर भी अपने पुरातन सनातन वैदिक धर्म से सांस्कृतिक - आध्यात्मिक लगाव के परिणामस्वरूप ही हम आज भी अपने मूल धर्म व संस्कृति पर दृढ़ता से कायम हैं , तो इसका कारण यह है कि भारतवर्ष पुनः विश्वगुरू के पद को प्राप्त कर विश्वपटल पर चमकेगा । वह दिन दूर है पर एक दिन अवश्य आएगा जब कोई ऐसा माई का लाल अवश्य आएगा जो दूध का दूध पानी का पानी करेगा ।
जय श्रीराम ।

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